माधव को भावै नहीं सो हमसो जनि होय हिंदी मीनिंग Madhav Ko Bhave Nahi Meaning

माधव को भावै नहीं सो हमसो जनि होय हिंदी मीनिंग Madhav Ko Bhave Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

माधव को भावै नहीं,सो हमसो जनि होय,
सदगुरु लाजय आपना, साधु ना मानय कोय।

Madhav Ko Bhave Nahi, So Hamaso Jani Hoy,
Sadguru Lajya Aapna Sadhu Na Manay Koy.
 
माधव को भावै नहीं सो हमसो जनि होय हिंदी मीनिंग Madhav Ko Bhave Nahi Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

इश्वर से प्रार्थना है की मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो आपको अच्छा नहीं लगे। यदि मैं कोई भी अनुचित कार्य करता हूँ तो सतगुरु भी लज्जित होता है और ऐसे में मुझे भी कोई साधू नहीं मानेगा। इस दोहे में संत कबीरदास जी अपने प्रभु के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करते हैं। वे प्रभु से कहते हैं कि मैं ऐसा कोई भी कार्य नहीं करूँगा जो आपको अच्छा न लगे। क्योंकि इससे आप मेरे कारण लज्जित होते हैं और मुझे भी कोई संत नहीं मानता है।
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