समंदर लागी आगि नदियाँ जलि कोइला भई मीनिंग Samandar Lagi Aagi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
समंदर लागी आगि, नदियाँ जलि कोइला भई।
देखि कबीरा जागि, मंछी रूषाँ चढ़ि गई।
Samandar Lagi Aagi, Nadiya Jali Koila Bhai,
Dekhi Kabira Jagi, Machhi Rukha Chadhi Gayi.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब साधक की मानसिक स्थिति का चित्रण करते हुए कहते हैं की विषय वासनाओं में लिप्त सागर में आग लग गयी है। यह आग ज्ञान की है। ज्ञान की इस आग में/अग्नि में विषय वासनाओं की पूर्ति करने वाली नदी जलकर कोयला हो गई है। कबीर साहेब जागृत हैं और वे देखते हैं की जीवात्मा रूपी मछली सहस्रार चक्र के वृक्ष पर चढ़ गई है। कबीर दास जी ने इस दोहे में जीवात्मा की मुक्ति की बात कही है। वे कहते हैं कि जब जीवात्मा ज्ञान की प्राप्ति करती है, तो उसमें विरह की आग लग जाती है। यह विरह की आग आत्मा को सांसारिक मोह-माया से मुक्त करती है। विषया-सक्त अंतःकरण रूपी सागर में ज्ञान-विरह की आग लग गई। इसका अर्थ है कि जब जीवात्मा ज्ञान की प्राप्ति करती है, तो उसमें ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना जागृत होती है। यह प्रेम और भक्ति की भावना आत्मा को सांसारिक मोह-माया से मुक्त करती है।