साँच बराबरि तप नहीं झूठ बराबर पाप हिंदी अर्थ Sanch Barabar Tap Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.
साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥
Sanch Barabar Tap Nahi, Jhooth Barabar Paap,
Jake Hirade Sanch Hai, Take Hridya Aap.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
इस दोहे में कबीर साहेब सच्चाई और सत्य को तपस्या बताते हैं और कहते हैं की सत्य की तुलना में कोई और तपस्या नहीं है, सत्य ही सर्वोच्च तपस्या है। इसी क्रम में झूठ और असत्य की तुलना में कोई पाप नहीं है। जिनके हृदय में सत्य का वास है उनके हृदय में इश्वर (आप) हैं।
अतः इस दोहे का भावार्थ है की व्यक्ति को सदा ही अपने आचरण में सत्य का पालन करना चाहिए जो व्यक्ति भी मित्थया आचरण करता है, झूठ बोलता है, अनैतिक व्यवहार करता है वह पाप का भागी होता है और उसे कभी भी इश्वर की प्राप्ति नहीं होती है। "साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप" दोहा कबीर दास की रचना है। इस दोहे में कबीर जी ने सच्चाई और झूठ के महत्व को समझाया है।
अतः इस दोहे का भावार्थ है की व्यक्ति को सदा ही अपने आचरण में सत्य का पालन करना चाहिए जो व्यक्ति भी मित्थया आचरण करता है, झूठ बोलता है, अनैतिक व्यवहार करता है वह पाप का भागी होता है और उसे कभी भी इश्वर की प्राप्ति नहीं होती है। "साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप" दोहा कबीर दास की रचना है। इस दोहे में कबीर जी ने सच्चाई और झूठ के महत्व को समझाया है।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |