कबीर ब्राहमन की कथा सो चोरन की नाव हिंदी मीनिंग Kabir Brahman Ki Katha Meaning
कबीर ब्राहमन की कथा, सो चोरन की नाव,सब मिलि बैठिया, भावै तहं ले जाइ।
Kabir Brahaman Ki Katha, So Choran Ki Nanv,
Sab Mili Baithiya Bhave Tah Le Jai
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की अज्ञानी, अविवेकी ब्राह्मण की कथा, चोरों की नांव के समान होती है। यह नांव अधर्मी होती है इसलिए सभी लोग इसमें बैठ जाते हैं तो पता नहीं यह नांव उनको कहाँ पर लेकर जाती है। ऐसे ब्राह्मण जिनकी कथनी और करनी में फर्क होता है, उनकी कथा (धार्मिक उपदेश) का कोई मूल्य नहीं होता है, क्योंकि वे किताबी ज्ञान को स्वंय के जीवन में नहीं उतारते हैं, वे सब (कथा वाचक और श्रोता) एक नांव में बैठे हैं वह चोरों की नांव की भाँती है, ना जाने वह कहा लेकर जाएगा. अतः आशय है की ढोंगी व्यक्तियों से बचकर रहना चाहिए. सभी ब्राह्मण एक जैसे नहीं होते हैं, हमें सच्चे और धर्म के प्रति समर्पित ब्राह्मण की खोज अवश्य ही करनी चाहिए.कबीर साहेब ने इस दोहे में अविवेकी ब्राह्मणों की आलोचना की है। वे कहते हैं कि जो ब्राह्मण विवेकहीन होते हैं, वे अधर्म और भ्रम के मार्ग पर चल पड़ते हैं। इनका अंत अत्यंत बुरा होता है।