सेवक के बल बहुत है सबको करत अधीन हिंदी मीनिंग Sevak Ke Bal Bahut Hai Meaning
सेवक के बल बहुत है सबको करत अधीन हिंदी मीनिंग Sevak Ke Bal Bahut Hai Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
सेवक के बल बहुत है, सबको करत अधीन,
देव दनुज नर नाग सब, जेते जगत प्रवीन।
Sevak Ke Bal Bahut Hai, Sabako Karat Adhin,
Dev Danuj Nar Nag Sab, Jete Jagat Praveen.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
इस दोहे में कबीर साहेब यह बता रहे हैं कि प्रभु का सेवक बहुत शक्तिशाली होता है। वह अपने भक्ति और समर्पण के बल पर सबको अपने अधीन कर लेता है। देवता, असुर, मनुष्य, और नाग सभी उसके वश में हो जाते हैं।
कबीर साहेब के अनुसार, प्रभु की कृपा से ही व्यक्ति में शक्ति आती है। जब कोई व्यक्ति प्रभु की सेवा करता है, तो उसमें भक्ति और समर्पण की भावना विकसित होती है। यह भावना ही उसे शक्तिशाली बनाती है। इस दोहे को हम अपने जीवन में भी लागू कर सकते हैं। यदि हम अपने जीवन में प्रभु की भक्ति और समर्पण को अपनाते हैं, तो हम भी शक्तिशाली बन सकते हैं। हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और दूसरों की मदद कर सकते हैं। इस दोहे से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें प्रभु की भक्ति और समर्पण के मार्ग पर चलना चाहिए। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि प्रभु का सेवक बहुत शक्तिशाली होता है। वह अपनी भक्ति और सेवा के द्वारा ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। ईश्वर की कृपा से वह सभी शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। कबीर दास जी कहते हैं कि देवता, असुर, मनुष्य और सर्प सभी इस संसार के प्राणी हैं। लेकिन, प्रभु के सेवक की शक्ति इन सभी प्राणियों से अधिक होती है। वह इन सभी प्राणियों को अपने अधीन कर लेता है।
कबीर साहेब के अनुसार, प्रभु की कृपा से ही व्यक्ति में शक्ति आती है। जब कोई व्यक्ति प्रभु की सेवा करता है, तो उसमें भक्ति और समर्पण की भावना विकसित होती है। यह भावना ही उसे शक्तिशाली बनाती है। इस दोहे को हम अपने जीवन में भी लागू कर सकते हैं। यदि हम अपने जीवन में प्रभु की भक्ति और समर्पण को अपनाते हैं, तो हम भी शक्तिशाली बन सकते हैं। हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और दूसरों की मदद कर सकते हैं। इस दोहे से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें प्रभु की भक्ति और समर्पण के मार्ग पर चलना चाहिए। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि प्रभु का सेवक बहुत शक्तिशाली होता है। वह अपनी भक्ति और सेवा के द्वारा ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। ईश्वर की कृपा से वह सभी शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। कबीर दास जी कहते हैं कि देवता, असुर, मनुष्य और सर्प सभी इस संसार के प्राणी हैं। लेकिन, प्रभु के सेवक की शक्ति इन सभी प्राणियों से अधिक होती है। वह इन सभी प्राणियों को अपने अधीन कर लेता है।