शीलवन्त सुरज्ञान मत अति उदार चित होय हिंदी मीनिंग Sheelvant Surgyan Mat Meaning
शीलवन्त सुरज्ञान मत अति उदार चित होय हिंदी मीनिंग Sheelvant Surgyan Mat Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
शीलवन्त सुरज्ञान मत, अति उदार चित होय |
लज्जावान अति निछलता, कोमल हिरदा सोय ||
Sheelvant Surgyan Mat, Ati Udar Chitt Hoy,
Lajjavan Ati Nichhalta Komal Hirada Soy.
शीलवान ही देव के समान है। उसका मत देवतुल्य होता है। उसका चित्त/हृदय अत्यंत ही उदार होता है। वह लज्जावान होता है और छल रहित होता है। उसका हृदय भी कोमल होता है। आशय है की इस दोहे में कबीर साहेब सच्चे इश्वर भक्त के बारे में उसकी पहचान बताते हुए कहते हैं की हरी का भक्त उदार और शीलवान होता है। कबीर दास जी इस दोहे में हमें बता रहे हैं कि एक सच्चे व्यक्ति के क्या गुण होते हैं। वे कहते हैं कि एक सच्चे व्यक्ति का आचरण शीलवान होता है। वह हमेशा अच्छे कर्मों में लगा रहता है और बुरे कर्मों से बचता है। उसका विवेक का मत रहता है। इसका अर्थ है कि वह हमेशा सही और गलत में अंतर समझता है और सही मार्ग का अनुसरण करता है। उसका चित्त अत्यंत उदार होता है। इसका अर्थ है कि वह दूसरों के प्रति दयालु और करुणावान होता है।