एक दिन बोले प्रभु रामचंद्र, मैं मन की बात बताता हूँ, तुम लेटे रहो हनुमान यहाँ, मैं तेरे चरण दबाता हूँ।।
श्री राम जय राम, श्री राम जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
हनुमान हुए हैरान ये सुन, बोले ऐसा ना संभव है, मालिक सेवक के दबाए चरण, ये नाथ नहीं ये संभव है, ये महा पाप है मेरे प्रभु, मैं जीते जी मर जाऊंगा, तुम लेटे रहो हनुमान यहाँ, मैं तेरे चरण दबाता हूँ।।
श्री राम जय राम, श्री राम जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
प्रभु राम की वाणी सुनकर के, हनुमान बड़े हैरान हुए, इच्छा अजीब मेरे राम की है, ये सुन के बड़े परेशान हुए, ये अभी नहीं संभव है प्रभु, जब होगा मैं बतलाऊंगा, तुम लेटे रहो हनुमान यहाँ, मैं तेरे चरण दबाता हूँ।।
श्री राम जय राम, श्री राम जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
त्रेता के बाद युग द्वापर है, द्वापर में अवसर पाओगे, मैं मुरली बनकर आऊंगा, तुम कान्हा बनकर आओगे, होंठों से लगाना तुम मुझको, मैं तेरे भक्त नचाऊंगा, तुम लेटे रहो हनुमान यहाँ, मैं तेरे चरण दबाता हूँ।।
श्री राम जय राम, श्री राम जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
ये तुम जानो या मैं जानु, प्रभु और कोई ये जाने ना, मुरली के रूप में हनुमत है, ये राम सिवा कोई जाने ना, दोनों की रहेगी मर्यादा, मैं दोषी ना कहलाऊंगा, तुम लेटे रहो हनुमान यहाँ, मैं तेरे चरण दबाता हूँ।।
श्री राम जय राम, श्री राम जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
कान्हा की मुरली का राज छूपा है इस भजन में।दिनेश भट्ट की प्यारी आवाज़ में।dinesh bhatt ke bhajan।