वे रोने की तराई में जाते हुए, उसको सोतों का स्थान बनाते हैं, फिर बरसात की अगली वृष्टि, उसमें आशीष ही, आशीष उपजाती है।
तेरे आशिषों की, ऐसी बरसी घटा, तेरे आशिषों की, ऐसी बरसी घटा, हर गुनाह धूल गया, बोझ मन से हटा, तेरे आशिषों की, ऐसी बरसी घटा, हर गुनाह धूल गया, बोझ मन से हटा।
प्रार्थना मैंने की, जो प्रभु ने सुनी, अपने अभिषेक से, उसने मुझको ढका।
तेरे आशिषों की, ऐसी बरसी घटा, हर गुनाह धूल गया, बोझ मन से हटा।
जिस्म बीमार था, रूह बेआस थी, हर तरफ था अँधेरा, बहुत प्यास थी।
तूने भेजा लहू, मुझको दे दी शिफा, तेरे आशिषों की ऐसी, बरसी घटा, हर गुनाह धूल गया, बोझ मन से हटा।
पहली बारिश पड़ी, दूसरी आ गई, जो वचन दिल पे बोया था, फलने लगा।
तेरे आशिषों की, ऐसी बरसी घटा, हर गुनाह धूल गया, बोझ मन से हटा।
Teri ashisho ki aisi barsi ghata lyrics(Christian song)Anil kant(Hebrew 6:7)Psalm 84:6