त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी

त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी

त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी,
जय हो तुम्हारी महेश,
तीनों ही लोकों में कोई ना तुमसा,
तुम हो सबसे विशेष,
त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी,
जय हो तुम्हारी महेश।

माथे पे चन्दा गले भुजंगा,
और जटाओं में गंगा,
शमशान की राख तन पर लगाकर,
रहते हो बन मलंगा,
कैलाश पर्वत पर वास तेरा,
नाम हैं तेरे अनेक,
तीनों ही लोकों में कोई ना तुमसा,
तुम हो सबसे विशेष,
त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी,
जय हो तुम्हारी महेश।

त्रिशूलधारी हो तुम जटाधारी हो,
करते हो बैल सवारी,
भूले के साथी हो नाम भूलेश्वर,
आधे नर आधे नारी,
कोई नहीं है तुम जैसा भोले,
तुम सारी सृष्टि में एक,
तीनों ही लोकों में कोई ना तुमसा,
तुम हो सबसे विशेष,
त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी,
जय हो तुम्हारी महेश।

नीलकंठ है नाम तुम्हारा,
तुमने पिया विष का प्याला,
संकट हरते हो मंगल करते हो,
रूप बड़ा ही निराला,
मैं भी शरण में आया तुम्हारी,
देवों के तुम महादेव,
तीनों ही लोकों में कोई ना तुमसा,
तुम हो सबसे विशेष,
त्रिनेत्र स्वामी त्रिशूल धारी,
जय हो तुम्हारी महेश।
 



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