माँ वेदों ने जो तेरी महिमा कही है भजन

माँ वेदों ने जो तेरी महिमा कही है भजन

(मुखड़ा)
माँ, वेदों ने जो तेरी महिमा कही है,
माँ, वेदों ने जो तेरी महिमा कही है,
सही है, सही है, सही है, सही।
तू करुणामयी और ममतामयी है,
सही है, सही है, सही है, सही।।

(अंतरा 1)
कोई दुर्गा, काली, भवानी कहे,
कोई अंबे या वैष्णो रानी कहे,
महामाया, गौरी, तू कात्यायनी,
तू ही शारदे, लक्ष्मी, नारायणी,
तेरे नामों का कोई अंत नहीं है,
सही है, सही है, सही है, सही।।

(अंतरा 2)
तुम्हीं ने बनाया ये संसार माँ,
ये चंदा, सितारे, सूरज, आसमाँ,
ये पर्वत, ये झरने, ये फूल और वन,
जिसे देख मन हो रहा है मगन,
तेरी ही कृपा से टिकी धरती है,
सही है, सही है, सही है, सही।।

(अंतरा 3)
मुझे अपनी भक्ति का वरदान दो,
दया अब करो माँ, मुझे ज्ञान दो,
हो आशा मेरी पूरी मातेश्वरी,
मेरे दिल में हो बस मूरत तेरी,
तेरे 'लख्खा' की मैया विनती यही है,
यही है, यही है, यही है, यही।।

(पुनरावृति)
माँ, वेदों ने जो तेरी महिमा कही है,
माँ, वेदों ने जो तेरी महिमा कही है,
सही है, सही है, सही है, सही।
तू करुणामयी और ममतामयी है,
सही है, सही है, सही है, सही।।


Maa Vedon Ne Jo Teri Mahima Kahi Hai [Full Song]

जब मन मैया के चरणों में अटक जाए, और वह रूठी-सी प्रतीत हो, तो भक्त का हृदय व्याकुल हो उठता है। यह व्याकुलता उस बच्चे की सी है, जो माँ के रूठने पर छटपटाता है, यह सोचकर कि उसे कैसे मनाए। मैया, चाहे अम्बे, जगदम्बे, काली या महाकाली के रूप में हो, उसका हृदय भौतिक भेंटों से नहीं, बल्कि सच्चे मन की पुकार से पिघलता है। रेशम की साड़ी, ढोल-मंजीरा, मेवा-मिठाई, या शेर की सवारी—ये सब मनुष्य की सीमित समझ के उपहार हैं। मैया तो उस शुद्ध भाव को देखती है, जो बिना किसी अपेक्षा के अर्पित हो।

जैसे कोई गरीब अपनी झोली में दो फूल ले आया और माँ के चरणों में रख दिया, वही उसे प्रिय है। मन की वह सादगी, वह निश्छल श्रद्धा, जो बिना दिखावे के उभरती है, वही मैया को मनाती है। संसार की हर वस्तु क्षणभंगुर है, पर भक्त का विश्वास अमर है। जब मन में यह यकीन जग जाए कि मैया मेरी है, मेरे हर दुख-सुख की साक्षी है, तब ढोल-नगाड़ों की जरूरत नहीं रहती।

इसलिए, मैया को मनाना है तो मन को निर्मल करो। उसे अपनी कमजोरियों, अपनी गलतियों के साथ स्वीकार करो। जैसे सागर में नदी बिना शर्त मिल जाती है, वैसे ही अपने भावों को मैया के चरणों में समर्पित कर दो। वह रूठती नहीं, बस हमारी आँखें उसे देख नहीं पातीं। एक बार सच्चे मन से पुकारो, मैया दौड़ी चली आएगी।
 

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