चतुराई हरि ना मिलै ए बातां की बात हिंदी मीनिंग Chaturai Hari Na Mile Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
चतुराई हरि ना मिलै, ए बातां की बात ।
एक निसप्रेही निरधार का, गाहक गोपीनाथ ॥
Chaturai Hari Na Mile, Aie Bata Ki Baat,
Ek Nisprehi Nirdhar Ka, Gahad Gopinath
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब ने सन्देश दिया है की भौतिक क्रियाओं से, चतुराई से, रटंत विद्या से इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है. सांसारिक चतुराई से इश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है. इश्वर को इनसे रीझाना संभव नहीं है. कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ है कि हम चाहे कितनी ही चतुराई से काम लें, लेकिन ईश्वर को पाने के लिए चतुराई का कोई काम नहीं है, यही मूल बात है। ईश्वर तो केवल उसी व्यक्ति को अपनाता है, जो निस्पृह और निराधार होता है। निस्पृह का अर्थ है कि जो दुनिया की इच्छाओं से मुक्त हो। निराधार का अर्थ है कि जो किसी और पर निर्भर न हो। अतः इस दोहे का आशय है की हमें सहजता से इश्वर प्राप्त करने, भक्ति करने में अपना मन लगाना चाहिए. भक्ति में किसी भी प्रकार के आडम्बर, हथकंडे का कोई महत्त्व नहीं है, यह तो सूक्ष्म और आत्मिक क्रिया है.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |