जग में भक्त कहावई चुकट चून नहिं देय मीनिंग Jag Me Bhakt Khavai Meaning

जग में भक्त कहावई चुकट चून नहिं देय मीनिंग Jag Me Bhakt Khavai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.

जग में भक्त कहावई, चुकट चून नहिं देय।
सिष जोरू का ह्वै रहा, नाम गुरु का लेय।।
 
Jag Me Bhakt Kahavai, Chukat Chun Nahin Dey,
Sish Joru Ka Vhe Raha, Naam Guru Ka ley.
 
जग में भक्त कहावई चुकट चून नहिं देय मीनिंग Jag Me Bhakt Khavai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने इस दोहे में सन्देश दिया है लोग भक्ति और मानवीय गुणों का ढकोसला करते हैं. उनमे इतनी सी दया और मानवता भी नहीं होती है की वे एक चुकट (एक चुटकी भर ) भर आटा भी किसी भूखे को नहीं दे सकते हैं. ऐसे लोग भक्ति का दिखावा करते हैं क्योंकि इनके मन में तो लोभ और लालच भरा रहता है लेकिन अपने मुख से गुरु का नाम लेते हैं, भक्ति का स्वांग रचते हैं. इस दोहे का आशय है की हमें सच्चे मन और शुद्ध हृदय से इश्वर की भक्ति करनी चाहिए. हमें अपने मन को शुद्ध करके सच्चे मन से इश्वर की भक्ति करनी चाहिये. मानवीय गुणों को जब तक हम धारण नहीं करते हैं तो मुंह से इश्वर के नाम का जाप कोई लाभ नहीं पंहुचाने वाला है.
 
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