प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरूँ प्रेमी मिलै न कोइ हिंदी मीनिंग Premi Dhundhat Main Phiru Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit.
प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरूँ, प्रेमी मिलै न कोइ।
प्रेमी कूँ प्रेमी मिलै तब, सब विष अमृत होइ॥
Premi Dhundhat Main Phiru, Premi Mile Na Koi,
Premi Ku Premi Mile, Tab Sab Vish Amrit Hoi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब सन्देश देते हैं की परमात्मा का प्रेमी अपने समान अन्य प्रेमी को ढूँढने के लिए भटकता है लेकिन उनको कोई अन्य प्रेमी नहीं मिल पाता है। जब प्रेमी को अपने समान ही अन्य कोई प्रेमी मिलता है तो उसके सभी विष अमृत में बदल जाते हैं। विष क्या है ? विष है विषय वासना आदि। विषय वासनाओं में डूबा व्यक्ति भ्रम में रहता है। यह भ्रम तभी मिट पाता है जब अन्य कोई प्रेमी मिलता है।
कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ यह है कि ईश्वर के प्रेमी को खोजने के लिए मनुष्य को लगातार प्रयास करता है लेकिन उसे कोई दूसरा प्रेमी नहीं मिलता है। जब वह एक सच्चे ईश्वर-प्रेमी को पा लेता हैतो उसके समस्त पाप/भ्रम, जो विष है वह अमृत में तब्दील हो जाता है.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |