जिहिं हिरदे हरि आइया सो क्यूं छानां होइ मीनिंग Jihi Hirade Hari Aaiya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit
जिहिं हिरदे हरि आइया, सो क्यूं छानां होइ ।
जतन-जतन करि दाबिये, तऊ उजाला सोइ ॥
Jihi Hirade Hari Aaiya, So Kyo Na Chhana Hoi,
Jatan Jatan Kari Dabiye, Tau Ujala Soi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि जिसके हृदय में भगवान बसते हैं, हरी के नाम का उदय होता है, उस दिव्य स्थिति को छिपाया नहीं जा सकता है। जैसे दीपक को चाहे कितना भी छिपा लिया जाए, उसका प्रकाश तो बाहर आ ही जाता है। कबीर दास जी का मानना है कि जब व्यक्ति सच्चे मन से इश्वर के नाम का सुमिरन करता है तो उसके हृदय में इश्वर का वास होने लगता है और यह एक ऐसी स्थिति है जिसे पहचाना जा सकता है, भले ही इसे कोई कितना भी क्यों नहीं छिपाए. आशय है की हरी की प्राप्ति शुद्ध हृदय से भक्ति से संभव हो पाती है और इसे अन्य संतजन, भक्त पहचान सकते हैं.
जब व्यक्ति बाह्य आडम्बरों का त्याग करके सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करता है तो वह स्वंय ही प्रकाशित होने लगता है. उसे ना तो दिखाने की आवश्यकता होती है और नाहीं छिपाने की. यह सहज अवस्था है जो स्वतः ही प्राप्त हो जाती है.
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