हरि रस पीया जानिए जे कहूँ न जाइ खुमार हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

हरि रस पीया जानिए जे कहूँ न जाइ खुमार हिंदी मीनिंग Hari Ras Piya Janiye Je Kahu Na Jayi Khumar Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit


 
हरि रस पीया जानिए, जे कहूँ न जाइ खुमार।
मैमंता घूमत है', नहीं तन की सार।।
 
Hari Ras Peeya Jaanie, Je Kahoon Na Jai Khumaar.
Maimanta Ghoomat Hai, Nahin Tan Kee Saar. 
 
हरि रस पीया जानिए जे कहूँ न जाइ खुमार हिंदी मीनिंग Hari Ras Piya Janiye Je Kahu Na Jayi Khumar Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
 
हरि रस पीया जानिए शब्दार्थ : हरि रस - भक्ति रस, ईश्वरीय प्रेम - रस, खुमार नशा, मैनंता मस्त, मतवाला, सार = सुधि।

हरि रस पीया जानिए दोहे का हिंदी मीनिंग: हरी रस, प्रेम रस और भक्ति रस इनका नशा करने वाले का कभी खुमार (नशा ) नहीं उतरता है। अन्य नशा करने पर कुछ समय के उपरांत नशा उतर जाता है, लेकिन हरी नाम का नशा कभी उतरता नहीं है और जीव सदा उसी नशे में डूबा रहता है और उसे अपने तन की सुध बुध नहीं रहती है। इन्द्रियों के द्वारा जनित उसका बोध शून्य हो जाता है और वह हरी ने नाम के रस में ही डूबा रहता है। साहेब ने उस समय के समाज के मुताबिक ही उदाहरण देकर बताया है जिससे ज्ञात होता है की तात्कालिक समाज में नशा एक सामान्य बात रही थी।
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