मैमंता तिण नाँ चरै सालै चिता सनेह हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

मैमंता तिण नाँ चरै सालै चिता सनेह हिंदी मीनिंग Mamta Tin Na Chare Sale Chita Saneh Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit


मैमंता तिण नाँ चरै, सालै चिता सनेह।
बारि जु बांध्या प्रेम कै, डारि रह्या सिरी षेह।।

Maimanta Tin Naan Charai, Saalai Chita Saneh.
Baari Ju Baandhya Prem Kai, Daari Rahya Siree Sheh 
 
मैमंता तिण नाँ चरै सालै चिता सनेह हिंदी मीनिंग Mamta Tin Na Chare Sale Chita Saneh Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

Maimanta Tin Na Chare Sale Chita Hindi Meaning

मैमंता तिण नाँ चरै शब्दार्थ- मैमंता= मतवाला हाथी, तण = तृण, घास,सालै-चुभन, चिता -चित्त (मन ) षेह = धूल।
मैमंता तिण नाँ चरै दोहे का हिंदी मीनिंग : जिस हाथी जो जंगल से पकड़ कर खूंटे के बाँध दिया जाता है वह अपनी सामान्य दिनचर्या को भी भूल जाता है और अपने ऊपर अप्रत्याशित रूप से धुल डालता रहता है (पानी को छोड़कर ) . इसी प्रकार से राम नाम की मस्ती में डूबा हुआ व्यक्ति का आचरण भी अन्य लोगों से भिन्न हो जाता है और वह इन्द्रियों के जनित स्वभाव को छोड़कर अपनी ही मस्ती में डूबा रहता है क्योंकि उसे स्नेह (प्रेम ) का शूल चुभता है और वह सामन्य क्रियाओं को छोड़कर अधिक हरी रस पीने की जुगत में लगा रहता है।

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1 टिप्पणी

  1. एक साखी का अर्थ मिला... रस कौ अंग की पाँचवीं साखी - मैमंता तिण नां चरै...
    बहुत ही अच्छा अर्थ लिखा है आपने। धन्यवाद