कबीर मन तो एक है भावै तहाँ लगाव हिंदी मीनिंग KabirMan To Ek Hai Meaning

कबीर मन तो एक है भावै तहाँ लगाव हिंदी मीनिंग KabirMan To Ek Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth

कबीर मन तो एक है, भावै तहाँ लगाव |
भावै गुरु की भक्ति करू, भावै विषय कमाव ||
 
Kabir Man To Ek Hai, Bhave Taha Lagav,
Bhave Guru Ki Bhakti Karu, Bhave Vishya Kamav.
 
कबीर मन तो एक है भावै तहाँ लगाव हिंदी मीनिंग KabirMan To Ek Hai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर दास जी मन की शक्ति और उसके महत्व के बारे में सन्देश देते हैं की हम स्वंय पर नियंत्रण करके अपने मन को कहीं पर भी लगा सकते हैं, अच्छे में या बुरे में, मन तो एक ही है.मन को नियंत्रित करके हम उसे कल्याण के कार्यों में लगा सकते हैं, इश्वर की भक्ति में अपने समय को लगा सकते हैं, वहीँ पर यदि हम अपने मन को नियंत्रित ना करें तो मन को हम विषय विकार और सासारिक क्रियाओं में लगाकर मन को उन्ही कार्यों में भी लगा सकते हैं, मन एक ही है लेकिन विषय है की हम अपने मन को किस प्रकार से नियंत्रित कर पाते हैं.

यदि हम अपने मन को नियंत्रण में नहीं रखते हैं तो स्वाभाविक रूप से वह विषय विकार और सांसारिक क्रियाओं में उलझता जाएगा. जितना मन माया में उलझेगा और अधिक मन करेगा ऐसे कार्य करने में, यही तो माया का जाल है, वह मन को अपने प्रलोभन में फांस लेती है. मन सरलता की और भागता है, इसलिए वह जगत के व्यर्थ कार्यों में उलझता है. 

वहीँ परमार्थ की भावना रखकर स्वंय पर नियंत्रण रखना, विषय भोग से स्वंय को दूर करना कुछ जटिल कार्य होता है इसलिए मन अधिकता से पुनः माया की तरफ भागता है. अतः साहेब सन्देश/शिक्षा देना चाहते हैं की हमें अपने मन पर नियंत्रण करके इसे इश्वर की भक्ति और परमार्थ के कार्यों में लगाना चाहिए. यह कठिन है लेकिन गुरु के सानिध्य में इसे किया अवश्य ही जा सकता है.

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