सुख के संगी स्वारथी दुःख में रहते दूर हिंदी मीनिंग Sukh Ke Sangi Swarathi Meaning

सुख के संगी स्वारथी दुःख में रहते दूर हिंदी मीनिंग Sukh Ke Sangi Swarathi Meaning : Kabir ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Hindi Me

सुख के संगी स्वारथी, दुःख में रहते दूर |
कहैं कबीर परमारथी, दुःख - सुख सदा हजूर ||
 
Sukh Ke Sangi Swarathi, Dukh Me Rahate Door,
Kahe Kabir Parmarthi, Dukh Sukh Sada Hujur.
 
सुख के संगी स्वारथी दुःख में रहते दूर हिंदी मीनिंग Sukh Ke Sangi Swarathi Meaning
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने इस दोहे के माध्यम से स्वार्थी व्यक्तियों का चित्रण भली भाँती से किया है. स्वार्थी और मतलबी लोग सुख के साथी होते हैं, क्योंकि वे स्वार्थ के बंधन से बंधे हुए होते हैं. लेकिन ऐसे व्यक्ति दुख आने पर दूर भागने लगते हैं.जो व्यक्ति परमार्थ की भावना लिए हुए होता है, स्वार्थी नहीं होता है वह सुख और दुख में समान रूप से साथ देता है. सांसारिक व्यक्ति सदा ही स्वार्थी होते हैं क्योंकि वे निज हित को सर्वोच्च महत्त्व देते हैं. संसारी लोग सदा ही सुख के समय ही साथ देते हैं, साथ निभाते हैं। जब दुःख आता है, तो वे दूर हो जाते हैं। वे सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए दोस्ती करते हैं। परमार्थी लोग, जो ईश्वर के भक्त होते हैं, वे हमेशा साथ देते हैं। वे सुख-दुःख में एक समान रहते हैं। कबीर साहेब ने इस दोहे में इस बात को बहुत ही अच्छे से समझाया है। वे कहते हैं कि संसारी लोग सिर्फ सुख के संगी होते हैं। वे दुःख में नहीं रहते। परमार्थी लोग हमेशा साथ देते हैं, चाहे सुख हो या दुःख।
 
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