मन के मारे बन गये बन तजि बस्ती माहिं मीनिंग Man Ke Mare Ban Gaye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
मन के मारे बन गये, बन तजि बस्ती माहिं |कहैं कबीर क्या कीजिये, यह मन ठहरै नाहिं ||
Man Ke Mare BanGaye, Ban Taji Basti Mahi,
Kahe Kabir Kya Kijiye, Yah Man Thahare Nahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब ने इस दोहे में मन और मन की क्रियाओं के बारे में वर्णन किया है की व्यक्ति मन की चंचलता को नियंत्रित करने के लिए वन (जंगल) में जाता है। वन में भी जब उसको कोई फल प्राप्त नहीं होता है तो वह पुनः बस्ती की तरफ गमन करता है। कबीर साहेब मन की चंचलता के बारे में कहते हैं की देखो मन कैसे व्यक्ति को इधर से उधर भटकाता है, ऐसे में इस मन का क्या करें ? यह मन एक जगह पर स्थिर नहीं रहता है। अतः इस दोहे का सन्देश है की मन को स्थिर रखना आवश्यक है, भले ही आप जंगल में रहे या फिर बस्ती में कहीं पर भी हो, भक्ति कहीं पर भी की जा सकती है। अतः गुरु के निर्देशन में अपने मन को नियंत्रित करना चाहिए।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |