मन के मारे बन गये बन तजि बस्ती माहिं मीनिंग Man Ke Mare Ban Gaye Meaning

मन के मारे बन गये बन तजि बस्ती माहिं मीनिंग Man Ke Mare Ban Gaye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

मन के मारे बन गये, बन तजि बस्ती माहिं |
कहैं कबीर क्या कीजिये, यह मन ठहरै नाहिं ||
 
Man Ke Mare BanGaye, Ban Taji Basti Mahi,
Kahe Kabir Kya Kijiye, Yah Man Thahare Nahi.
 
मन के मारे बन गये बन तजि बस्ती माहिं मीनिंग Man Ke Mare Ban Gaye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने इस दोहे में मन और मन की क्रियाओं के बारे में वर्णन किया है की व्यक्ति मन की चंचलता को नियंत्रित करने के लिए वन (जंगल) में जाता है। वन में भी जब उसको कोई फल प्राप्त नहीं होता है तो वह पुनः बस्ती की तरफ गमन करता है। कबीर साहेब मन की चंचलता के बारे में कहते हैं की देखो मन कैसे व्यक्ति को इधर से उधर भटकाता है, ऐसे में इस मन का क्या करें ? यह मन एक जगह पर स्थिर नहीं रहता है। अतः इस दोहे का सन्देश है की मन को स्थिर रखना आवश्यक है, भले ही आप जंगल में रहे या फिर बस्ती में कहीं पर भी हो, भक्ति कहीं पर भी की जा सकती है। अतः गुरु के निर्देशन में अपने मन को नियंत्रित करना चाहिए।
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