कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित Kabir Dohe With Hindi Meaning Arth Sahit

कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित Kabir Dohe With Hindi Meaning

चतुरई सूबै पढी, सोई पंजर मांहि।
फिरि प्रमोधै श्रांन कौ, श्रापण समभौं नाहिं॥
Chaturee Soobai Padhee, Soee Panjar Maanhi.
Phiri Pramodhai Shraann Kau, Shraapan Samabhaun Naahin. 
 
कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित Kabir Dohe With Hindi Meaning Kabir Ke Dohe HIndi Arth Sahit
 

Kabir Dohe With Hindi Meaning दोहे का हिंदी मीनिंग: पौँगा पंडितों पर कटाक्ष करते हुए तोते का उदाहरन देते हुए साहेब की वाणी है की जैसे तोता सम्पूर्ण चतुराई को सीख लेता है और राम राम बोलने लगता है और उसे ऐसा करने पर पिंजरे में बंद कर दिया जाता है, वह अपनी चतुराई के कारण लोगों का मनोरंजन तो करता है लेकिन स्वंय राम नाम का महत्त्व समझ नहीं पाता है, ऐसे ही जो व्यक्ति शास्त्रों को घोट लेते हैं, रिचाओं को कंठस्थ कर लेते हैं लेकिन स्वंय के आचरण में उसे नहीं उतारते हैं जिसके कारण उनका व्यक्तिगत उत्थान नहीं हो पाता है।


देषण के सबको भले, जिसे सीत के कोट।
रवि कै उदै न दीसही, वॅधै न जल की पोट॥
Deshan Ke Sabako Bhale, Jise Seet Ke Kot.
Ravi Kai Udai Na Deesahee, Vaidhai Na Jal Kee Pot.


दोहे का हिंदी मीनिंग: शीत ऋतू में बर्फ के कीले देखने में बहुत ही सुहावने लगते हैं, लेकिन सूर्य के उदय होने पर वह दिखाई नहीं देते हैं, और जैसे जल की पोटली नहीं बाँधी जा सकती है वैसे ही ज्ञान के प्रकाश में अज्ञान नष्ट हो जाता है। भाव है की रटंत विद्या के कारण उत्पन्न हुए पंडित स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं जब ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न होता है। आचरण की शुद्धता के बगैर रटंत विद्या का कोई महत्त्व नहीं होता है, इस दोहे में साहेब लोगों को यही समझा रहे हैं की ज्ञान प्राप्त करना चाहिए लेकिन जब तक वह ज्ञान स्वंय के आचरण में उतारा नहीं जाता है तब तक उसका कोई महत्त्व नहीं रहता है। जैसे सूर्य के उदय होने पर बर्फ गायब हो जाती है वैसे ही सत्य के प्रकाश में, वास्तविक ज्ञान के उदय हो जाने पर छद्म ज्ञान नष्ट हो जाता है।

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रामहि राम जपतडा, काल घसीटया जाइ॥
Teerath Kari Kari Jag Muva, Dughai Paanee Nhai.
Raamahi Raam Japatada, Kaal Ghaseetaya Jai.


दोहे का हिंदी मीनिंग: तीर्थ, कर्मकांड और सांकेतिक भक्ति से कुछ भी प्राप्त नहीं होने वाला है। ईश्वर की प्राप्ति सच्ची भावना, आचरण की शुद्धता से होती है किसी छद्म आचरण से नहीं। कर्मकांड के चक्कर में पड़ा हुआ इंसान हृदय से भक्ति नहीं करता है और दिखावे के लिए आचरण करता है, ऐसी भक्ति उसके किस काम की ? यद्यपि वह राम नाम का जाप करता है लेकिन उसे फिर भी काल घसीटता हुआ लेकर जाता है क्योंकि उसके आचरण में मानवता नहीं है, वह करता कुछ और है और बोलता कुछ और है, यही आचरण की शुद्धता है की जो ज्ञान प्राप्त किया जाए उसे अपने आचरण में उतार लिया जाए। दोनों में भिन्नता रहने पर भक्ति भाव और रटंत विद्या से कुछ लाभ नहीं मिलने वाला है। यहाँ पर उल्लेखनीय है की पानी में नहाने से पाप नहीं धुलते हैं अपितु अपने आचरण को शुद्ध करने पर और सद्मार्ग पर चलने से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। 
कासी काठे घ्रर करै, पीवै निर्मल नीर।
मुक्ति नही हरि नाव बिन हो कहै दास कबीर।।
Kaasee Kaathe Ghrar Karai, Peevai Nirmal Neer.
Mukti Nahee Hari Naav Bin Ho Kahai Daas Kabeer..


दोहे का हिंदी मीनिंग: कासी में रहने और गंगा जी का निर्मल पानी पीने मात्र से मुक्ति प्राप्त नहीं होने वाली है, हरी नाम के सुमिरण के बैगैर बाह्य किसी प्रयत्नों से हरी की प्राप्ति एक कल्पना मात्र ही है। उल्लेखनीय है की व्यक्ति अपने आचरण की शुद्धता पर ध्यान नहीं देता है, वह बोलता कुछ है और करता इसके विपरीत ही है। कथनी और करनी का यह अंतर ही भक्ति में बाधक होता है। हरी की प्राप्ति के लिए सद्मार्ग, परमार्थ, मोह और माया से अलगाव, दान पुन्य आदि आवश्यक हैं, मात्र इनका वर्णन करने से कुछ लाभ हासिल नहीं होने वाला है, पाखंड छोडकर असली भक्ति अपनाने से ही काम बनने वाला है, अन्यथा सिर्फ भटकाव ही हाथ लगना है।

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कबीर इस संसार कौं; समझाऊॅ कै बार।
पूँछ ज पकड़ै भेद की, उतर या चाहै पार॥
Kabeer Is Sansaar Kaun; Samajhaaooai Kai Baar.
Poonchh Ja Pakadai Bhed Kee, Utar Ya Chaahai Paar.


दोहे का हिंदी मीनिंग: साहेब ने लोगों के कर्मकांड और सांकेतिक भक्ति पर व्यग्य किया है की लोग भेड़ की पूँछ पकड़ कर भवसागर से पार उतरना चाहते हैं। भेड़ की पूँछ से अभिप्राय है की लोग एक दुसरे की देखा देखी, मूर्ति पूजा, पाखंड और कर्मकांड करके सोचते हैं की उन्होंने ईश्वर की प्राप्ति के लिए मार्ग प्रशस्त किया है जो की सत्य नहीं है। ईश्वर तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मन और वचन शुद्ध हो, आचरण शुद्ध हो, दया का भाव हो, सच्चे मन से ईश्वर का सुमिरण किया जाय। यहाँ भेद से आशय गाय से भी लिया जाता है।

कथणीं कथी तौ क्या मया, जे करणीं नां ठहराइ।
कालबूत के कोट ज्यूऑ , देषत ही ढहि जाइ ॥
Kathaneen Kathee Tau Kya Maya, Je Karaneen Naan Thaharai.
Kaalaboot Ke Kot Jyooo , Deshat Hee Dhahi Jai .


दोहे का हिंदी मीनिंग: कथनी और करनी में समानता होना आवश्यक है, यदि कथनी में शुद्धता है तो आचरण में शुद्धता आवश्यक है, जैसे व्यक्ति बहुत ही नेक बाते करता हो, भक्ति भाव की बाते करता हो लेकिन यदि उसके व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में दया, शील, मानवता नहीं हो तो उसे हरी की प्राप्ति नहीं हो सकती है भले ही वह कितने ही धर्म करम चाहे क्यों नहीं कर ले। जैसे कलुबत के कंगूरे देखते ही देखते ढह जाते हैं वैसे ही व्यक्ति का विनास होना तय है।

पद गाएँ मन हरषियॉ ,साषी कहयाँ आनंद।
स्रोतत नांव न जांणियाँ, गल में पड़िया फंध॥
Kathaneen Kathee Tau Kya Maya, Je Karaneen Naan Thaharai.
Kaalaboot Ke Kot Jyooo , Deshat Hee Dhahi Jai .


दोहे का हिंदी मीनिंग: : हरी की भक्ति के लिए पद गाने, साखियों के आनंद लेना अलग बात है और उसे अपने आचरण में उतारना अलग बात है। यदि उस परम तत्व के रहस्य को नहीं जाना और समझा नहीं तो पद और साखी से कुछ भी प्राप्त नहीं होना है। हरी को समझने और जानने के लिए इसे आचरण में उतारना अतिआवश्यक है। आचरण की शुद्धता के अभाव में उसके गले में काल का फंदा पड़ा ही रहता है।

करता दीसै कीरतन, ऊँचा करि करि तूंड।
जाणे बुझे कुछ नहीं,यौं ही श्राँधाँ रुण्ड॥
Karata Deesai Keeratan, Ooncha Kari Kari Toond.
Jaane Bujhe Kuchh Nahin,yaun Hee Shraandhaan Rund.


दोहे का हिंदी मीनिंग: जो व्यक्ति हरी नाम के तत्व को समझे बिना भक्ति के लिए मुंह को ऊपर करके राग अलापने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है, यह मन का भ्रम है जिसे जितना जल्दी दूर कर दिया जाए उतना ही श्रेयकर होता है। ईश्वर के नाम को समझे बिना उसको रटने वाला व्यक्ति रुण्ड के समान है (बिना सर ) जिसके पास विवेक का अभाव है। ऐसे व्यक्ति रुण्ड है जो बगैर सर के धड को लेकर इधर उधर भटकते रहते हैं।

मैं जांन्युं पढ़ियो भलौ ,पढबा थैं भली जोग।
रांम नांम सूं प्रीति करि, भलभल नींदौ लोग॥
Main Jaannyun Padhiyo Bhalau ,padhaba Thain Bhalee Jog.
Raamm Naamm Soon Preeti Kari, Bhalabhal Neendau Log.


दोहे का हिंदी मीनिंग: साहेब की वाणी है की ज्ञान की बातों की किताबों को पढ़ना अच्छी बात है लेकिन इससे भी (शास्त्र ज्ञान, पुस्तकों का ज्ञान) श्रेष्ठ है की राम नाम का आधार लिया जाए, यही मुक्ति का द्वार है और हरी मिलने की राह भी यही है भले ही लोग कितना ही निंदा करें।

कबीर पढ़िबा दूरि करि, पुसतक देइ बहाइ।
बांवन श्राषिर सोधि करि, ररै ममैं चित लाइ ॥
Kabeer Padhiba Doori Kari, Pusatak Dei Bahai.
Baanvan Shraashir Sodhi Kari, Rarai Mamain Chit Lai .


दोहे का हिंदी मीनिंग: पढ़ना बंद करो और किताबों को बहा दो, बावन अक्षरों में से सर ररे और ममे का ही ध्यान करो, राम के नाम का ध्यान करो। उल्लेखनीय है की कबीर ने शास्त्रों का विरोध तभी क्या है जब उन्हें आचरण में नहीं उतार कर बस उन्हें पढ़ लेना ही प्रयाप्त मान लिया जाता है, उनको आचरण में कौन लाएगा ? बिना आचरण में समाहित किये ऐसे किताबी ज्ञान का महत्त्व क्या है, कुछ भी नहीं। ना तो ऐसी किताब काम की है और ना ही उसके ज्ञान का ही कोई महत्त्व ही है। यदि उस ज्ञान को आचरण में उतार लिया जाए तो वह सार्थक होता है। अन्यथा किताबो को तो बहा ही दिया जाना चाहिए, बावन अक्षरों में से एक राम का नाम ही उपयोगी होता है।

पोथी पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
एकै श्रषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ ॥
Pothee Padhi Jag Muva, Pandit Bhaya Na Koi.
Ekai Shrashir Peev Ka, Padhai Su Pandit Hoi .

दोहे का हिंदी मीनिंग: उपरोक्त की तरह ही यहाँ भी साहेब की वाणी है की पोथी पढ़ कर कोई पंडित नहीं बना है, कोई ग्यानी नहीं बना है, यदि एक अक्षर भी प्रेम (मानवता, भक्ति और दया) का सीख लिया जाए, अपने आचरण में उतार लिया जाए तो वह सच्चे अर्थों में पंडित बनता है। पंडित कौन है ? पंडित वही है जो प्रेम को सीख ले, जीव मात्र के प्रति दया को सीख ले, सत्य के मार्ग पर चलना सीख ले। शास्त्र पढने से कोई पंडित नहीं बनता है और ना ही किसी जाती विशेष में जनम लेने से ही वह पंडित बनता है।

कांमणि काली नांगणीं, तीन्यूँ लोक झंझारि।
राम सनेही उबरे, विषई खाये झारी॥
Kaammani Kaalee Naanganeen, Teenyoon Lok Jhanjhaari.
Raam Sanehee Ubare, Vishee Khaaye Jhaaree.

दोहे का हिंदी मीनिंग: विषय वासनाए और माया एक तरह से काली नागिन है जिसने तीनों लोकों को झंझार (खा लिया है) दिया है और इससे केवल राम भक्त ही बच सकते हैं । यहाँ नारी को ही काली नागिन बताया गया है, नारी से भाव माया से है जिसने तीनों लोकों को ही डस लिया है, केवल राम भक्त ही इससे उबर सकते हैं बाकी का तो पतन निश्चित ही है।

कांमणि मींनीं षांणि की, जे छेडौं तौ खाइ।
जे हरि चरणां राचिया, तिनके निकट न जाइ॥
Kaammani Meenneen Shaanni Kee, Je Chhedaun Tau Khai.
Je Hari Charanaan Raachiya, Tinake Nikat Na Jai.


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दोहे का हिंदी मीनिंग: नारी मधुमक्खी (मींनीं षांणि) के समान होती है जो छेड़ने पर खा जाती है लेकिन जिन्होंने हरी के चरणों को अपना आधार बना लिया है उसके निकट नारी नहीं जाती है और उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है। हरी को अपना आधार बना लेने पर माया /कामिनी जीव का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है।


परनारी राता फिरै,चोरी बिढता खाँहिं।
दिवसि चारि सरसा रहै , अंति समूला जाँहिं॥
Paranaaree Raata Phirai,choree Bidhata Khaanhin.
Divasi Chaari Sarasa Rahai , Anti Samoola Jaanhin.


दोहे का हिंदी मीनिंग:
परनारी और चोरी के धन का सेवन करने वाला भले ही कुछ दिनों तक फलता फूलता दिख जाए, लेकिन उसे अंत समय में जड़ से नष्ट हो ही जाना है । साहेब ने सदा ही जीवों को सद्मार्ग पर चलने की नसीहत दी है और उन्हें चेताया है की नारी और माया एक ही हैं, जो जीव को हरी मार्ग से विमुख करती हैं और उसे मानवता से दूर भी करती हैं। सत्य का मार्ग क्या है ? सत्य का मार्ग यही है की नेक राह पर चलते हुए व्यभिचार से बचा जाए ।

नारी सेती नेह, बुधि बिवेक सबही हरैं।
कांइ गमावै देह, कारिज कोई नां सरैं॥
Naaree Setee Neh, Budhi Bivek Sabahee Harain.
Kaani Gamaavai Deh, Kaarij Koee Naan Sarain.


दोहे का हिंदी मीनिंग: नारी की आसक्ति में ही रहने वाले जीव को साहेब की वाणी है की नारी के सानिध्य में रहने वाला जीव अपना विवेक समाप्त कर बैठता है और वह बुद्धि और विवेक दोनों से ही दूर हो जाता है। नारी जहाँ शारीरिक शक्तियों का नाश कर देती हैं वहीँ पर उसके कोई काम भी नहीं पूर्ण होते हैं। भाव है की व्यक्ति को नारी से दूर रहकर ईश्वर के नाम का सुमिरण करना चाहिए और स्वंय की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए, क्योंकि आखिर सभी अकेले ही जाने हैं, नारी का साथ बस इसी दुनिया तक है वह हमारे कर्मों की भागी नहीं है।

नाना भोजन स्वाद सुख, नारी सेती रगं।
वेगि छाडि पछिताइगा, ह्वै है मूरति भंग॥
Naana Bhojan Svaad Sukh, Naaree Setee Ragan.
Vegi Chhaadi Pachhitaiga, Hvai Hai Moorati Bhang.


दोहे का हिंदी मीनिंग: नारी सुख, भोजनों में चटकारे लेने वाले जीव को साहेब की वाणी है की जितना जल्दी हो सके इनसे दूर हट जाए अन्यथा उसका रूप और सौन्दर्य सभी नष्ट हो जायेगा। नारी के सुख में पड़ा व्यक्ति और पेट पूजा में लगा व्यक्ति दोनों ही हरी के मार्ग से विमुख हो जाते हैं और वे तत्व ज्ञान को नहीं समझ पाते हैं, जो उनके पतन का कारण बनता है।

ग्यानी मूल गॅवाइया,श्रापणा भया करता।
ताथैं संसारी भला, मन में रहै डरता॥
Gyaanee Mool Gaivaiya,shraapana Bhaya Karata.
Taathain Sansaaree Bhala, Man Mein Rahai Darata.
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पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार-कबीर के दोहे हिंदी में
दोहे का हिंदी मीनिंग: जो स्वंय को ग्यानी मान कर घमंड/अहम् का शिकार हो जाते हैं वह स्वंय को सर्वोपरी समझने लगते हैं और अपने मूल को भी गँवा बैठते हैं, ऐसे ज्ञानियों से तो संसारी ही भला होता है जो कम से कम मन में डरता तो है, बुरे कर्मों से दूर रहता है। तत्व की पहचान स्वंय को करनी है और इसमें भी किसी प्रकार का अहम् नहीं होना चाहिए, क्योंकि अहम् के आने पर प्रेम दूर हो जाता है, प्रेम की गलि संकरी है जिसमे हरी और मैं दोनों एक साथ नहीं समाते हैं, हरी की प्राप्ति के लिए अहम् का नष्ट होना आवश्यक है।

सह्ज सह्ज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोइ।
जिन सह्जैं विषिया तजी, सह्ज कहीजै सोइ॥
Sahj Sahj Sab Koee Kahai, Sahaj Na Cheenhain Koi.
Jin Sahjain Vishiya Tajee, Sahj Kaheejai Soi.


दोहे का हिंदी मीनिंग: सभी लोग सहज मार्ग का अनुसरण करते हैं और कहते हैं की ईश्वर की प्राप्ति के लिए सहज मार्ग का अनुसरण किया जाना चाहिए लेकिन सहज मार्ग है क्या ? इसे किसने समझा है, सहज मार्ग को जिसने भी अपनाया है वह बुरे कर्मों, विषय वासनाओं से दूर हो गया है और वही सहज कहला सकता है, अन्यथा कौन सहज है ? भाव है की विषय वासनाओं से, माया के भरम को जिसने तोड़ दिया है वह सहज है, उसकी भक्ति सहज है।
कबीर पूँजी साह की,तूँ जिन खोवैष़्वार।
ख्ररी विगूचनि होइगी, लेखा देती बार।।
Kabeer Poonjee Saah Kee,toon Jin Khovaishvaar.
Khraree Vigoochani Hoigee, Lekha Detee Baar..


दोहे का हिंदी मीनिंग: मालिक के द्वारा प्रदत्त पूंजी, मानव देह को तूं यूँ ही व्यर्थ में समाप्त मत कर, यदि विषय वासनाओं और माया के भरम जाल में फंसकर यदि तूने इसको व्यर्थ में समाप्त कर दिया तो आखिर में तुम्हारे कर्मों का हिसाब होना है जिसमे बहुत ही कष्ट होगा। भाव है की मानव जीवन के महत्त्व को समझना चाहिए और अपना जीवन हरी सुमिरण में व्यतीत करना चाहिए।

लेखा देणा सोहरा, जे दिल साँचा होइ।
उस चंगे दीवांन मैं, पला न पकड़ै कोइ॥
Lekha Dena Sohara, Je Dil Saancha Hoi.
Us Change Deevaann Main, Pala Na Pakadai Koi.


दोहे का हिंदी मीनिंग: यदि जीव सत्य के मार्ग पर चलता है, मोह माया से दूर रहता है और आचरण की शुद्धता रखता है उसे लेखा जोखा देने में बड़ी ही आसानी रहती है और ईश्वर के समक्ष उसे कोई परेशानी नहीं होती है, उसका पल्ला कोई नहीं पकड़ता है। पल्ला/दामन उसी का पकड़ा जाता है जो अपना जीवन व्यर्थ के कार्यों में गँवा देता है।
कबीर चित चमंकिया, किया पयाना दूरि।
काइथि कागद काढिया,तब दरगह़ लेख पूरी॥
Kabeer Chit Chamankiya, Kiya Payaana Doori.
Kaithi Kaagad Kaadhiya,tab Daragah Lekh Pooree.

दोहे का हिंदी मीनिंग: सत्य के मार्ग पर चलने वाले और हरी के सुमिरण करने वाले व्यक्ति का चित्त तब प्रशन्न हो जाता है जब वह आखिरी समय पर हरी के समक्ष जाता है, हरी उसके कार्यों का हिसाब लेते हैं तो वह खरा निकलता है, उसे कोई दुविधा नहीं होती है। भाव है की एक रोज हरी के समक्ष कार्यों का हिसाब होना है इसलिए अपने कर्मों को खरा रखना चाहिए जिससे अंत समय में कोई मुश्किल नहीं हो। चित्रगुप्त के द्वारा कर्मों का हिसाब लिए जाने पर सद्मार्गी जीव सदा खुश होता है।

कबीर काजी स्वादि बसि, ब्रह्म हतै तब दोइ।
चढ़ि मसीति एकै कहै, दरि क्यूँ साँचा होइ॥
Kabeer Kaajee Svaadi Basi, Brahm Hatai Tab Doi.
Chadhi Maseeti Ekai Kahai, Dari Kyoon Saancha Hoi.


दोहे का हिंदी मीनिंग: काजी जो स्वाद के चक्कर में पड़कर मांसाहार करता है वह एक तरह से ब्रह्म हत्या के समान कार्य करता है, जब वह मस्जिद में खड़ा होकर वह यह कहता है की जीव और अल्लाह एक ही है तो उसकी इस बात को कौन सत्य मानेगा? भाव है की सच्ची भक्ति है मानवता, जीवों के प्रति आदर भाव, दया और उपकार, इसके विपरीत यदि कोई जीव ह्त्या करता है तो वह ईश्वर की खिलाफ ही कार्य करता है । यदि ईश्वर एक है तो जीव में भी ईश्वर का अंश है तो फिर जिव्हा के स्वाद के चक्कर में किसी जीव की हत्या को कैसे ठीक ठहराया जा सकता है।

काजी मुल्ला भ्रंमियां, चल्य दुनीं कै साथि।
दिल थै दीन बिसारीया, करद लई जब हाथी॥
Kaajee Mulla Bhrammiyaan, Chaly Duneen Kai Saathi.
Dil Thai Deen Bisaareeya, Karad Laee Jab Haathee.


दोहे का हिंदी मीनिंग: यद्यपि काजी और मुल्ला दोनों ही धर्म गुरु हैं, लोगों को नेक राह पर चलने की नसीहत देते हैं लेकिन वे भी दुनियाँ का ही अनुसरण करने में लगे रहते हैं, स्वंय के विवेक का उपयोग नहीं करते हैं। ऐसे मुल्ला और काजी अपने हृदय से ईश्वर को भुला देते हैं और अपनी हाथ में कटार (करद) उठा लेते हैं। भाव है की प्रत्येक जीव में ईश्वर का अंश है और इस जगत के कंन कण में प्रभु का वास है तो फिर अपनी जिव्हा के स्वाद के चक्कर में किसी निरीह प्राणी को कैसे समाप्त किया जा सकता है, यदि कोई ऐसा करता है तो वह ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता है और उससे हरी दूर ही हैं। मानवता, अन्य जीवों के प्रति प्रेम, दया भाव ही भक्ति का मूल है।

जोरि करि जिबहै करैं, कहते हैं ज हलाख।
जब दफतर देखैगा दई, तब हेगा कौंणा हवाल॥
Jori Kari Jibahai Karain, Kahate Hain Ja Halaakh.
Jab Daphatar Dekhaiga Daee, Tab Hega Kaunna Havaal.


कबीर के दोहे हिंदी में : सभी दोहे देखे Kabir Ke Dohe Hindi Me (सभी दोहे देखें)
दोहे का भावार्थ : धर्म के नाम पर जो निरीह प्राणियों को मार कर उनको हलाल का नाम देते हैं, ऐसे कार्य धर्म के अनुकूल नहीं है और जब हरी के यहाँ इसका हिसाब होगा तब कौन हवाल होगा, कोई नहीं। मृत्यु के उपरान्त जब कर्मों का हिसाब होगा तब जीव हत्या को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। भाव है की धर्म कहीं भी यह नहीं कहता है की जीव हत्या उचित है। सभी जीवों को ईश्वर का ही अंश समझना भक्ति का मूल है। कोई भी धर्म जीव हिंशा का समर्थन नहीं करता है इसलिए सभी जीवों के प्रति आदर भाव होना आवश्यक है।

जोरी कीयां जुलम है, मांगै न्याव खुदाइ।
खालिक दरि खूनी खड़ा, मार मुहे मुहिं खाइ॥
Joree Keeyaan Julam Hai, Maangai Nyaav Khudai.
Khaalik Dari Khoonee Khada, Maar Muhe Muhin Khai.


दोहे का हिंदी मीनिंग: किसी भी व्यक्ति को हिंशा का प्रयोग नहीं करना चाहिए, ईश्वर के समक्ष इसका न्याय किया जाना है, मालिक के दरबार में खुनी व्यक्ति को उसके आचरण के मुताबिक ही फल दिया जाना तय है। हर प्राणी को एक समान समझ कर सभी के प्रति न्यायपूर्ण व्यवहार ही सच्ची मानवता है और बगैर मानवता के भक्ति के मार्ग पर नहीं चला जा सकता है, जीव हिंशा करने वाले को मालिक कभी भी माफ़ नहीं करता है और उसको भी उसके गुनाहों के मुताबिक़ सजा मिलेगी/वह मुंह की खायेगा।

सांई सेती चोरियाँ, चोरां सेती गुझ।
जांनैगा रे जीवड़ा,मार पडैगी तुझ॥
Saanee Setee Choriyaan, Choraan Setee Gujh.
Jaannaiga Re Jeevada,maar Padaigee Tujh.


दोहे का हिंदी मीनिंग: साईं के होते हुए, तू चोरी करता है और चोरों से मित्रता रखता है, चोरों से आशय है की काम, क्रोध, मोह और माया जो व्यक्ति को सत्य के मार्ग से विमुख करती हैं। जीव को इस बात का उस समय पता चलेगा जब हरी के दवार पर इसका हिसाब होगा और उसे मार पड़ेगी। भाव है की चोरी करना और माया के भरम में पड़ कर अपना जीवन समाप्त करना उचित नहीं है।
 
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Saroj Jangir : Lyrics Pandits
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1 टिप्पणी

  1. Dopahar wali dudh deti hai 4:00 per wali dudh deti hai kuchh bhi sabhi do dete Hain to fir ka naam batao