आनंद ही आनंद बरस रहा लिरिक्स
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की,
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
धन भाग्य हमारे आज हुए,
शुभ दर्शन ऐसे सद्गुरु के,
पावन कीनी भारत भूमि,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
क्या रूप अनुपम पायो है,
जैसे तारो बीच है चंदा,
सुरत मूरत मोहन वारी,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
क्या ज्ञान छटा है जैसे इंद्र घटा,
बरसत वाणी अमृतधारा,
वो मधुरी मधुरी अजब धुनी,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
गुरु ज्ञान रूपी जल बरसाकर,
गुरु धर्म बगीचा लगा दिया,
गुरु नाम रूपी जल बरसाकर,
गुरु प्रेम बगीचा लगा दिया,
खिल रही है कैसी फुलवारी,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की,
आनंद ही आनंद बरस रहा,
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की।
Bhai Mahavir Sharma Bhajan | आनंद ही आनंद बरस रहा, बलिहारी ऐसे सद्गुरु की | Bhav Pravah #guruji