जग जननी दया करके मेरे घर भी आ जाना भजन

जग जननी दया करके मेरे घर भी आ जाना भजन

 (मुखड़ा)
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना,
पावन घर आँगन को,
हे मात बना जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।

(अंतरा)
युग युग से तरस रहे,
नैना तेरे दर्शन को,
बैठा हूँ बिछाए हुए,
तेरी राह में पलकन को,
इन व्याकुल नैनों की,
माँ प्यास बुझा जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।

एक बार तो मौका दो,
तेरे चरण पखारूँ मैं,
तेरे नूरी मुखड़े को,
जी भर के निहारूँ मैं,
दो पल ही सही मुझको,
एक झलक दिखा जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।

अच्छा हूँ, बुरा हूँ मैं,
जो भी हूँ, तुम्हारा हूँ,
मुझको भी सहारा दो,
माँ, मैं बेसहारा हूँ,
भटका हुआ राही हूँ,
मुझे राह दिखा जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।

कहते हैं तेरे दिल में,
ममता का सागर है,
इस दास की आखिर क्यों,
खाली माँ गागर है,
दो बूंद माँ ममता की,
मुझको भी पिला जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना,
पावन घर आँगन को,
हे मात बना जाना,
जग जननी दया करके,
मेरे घर भी आ जाना।।


Jagjanni Daya Karke Mere Ghar Bhi Aa Jana। Navratri Special Bhajan।।जगजननी दया।। मेरे घर भी आ जाना।।
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