युग युग से हिन्दुत्व सुधा की लिरिक्स
युग युग से हिन्दुत्व सुधा की लिरिक्स
युग युग से हिन्दुत्व सुधा की,
बरस रही मंगलमय धार,
भारत की हो जय जयकार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत ने ही सारे जग को,
ज्ञान और विज्ञान दिया,
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से,
जन जन का उपकार किया,
जननी की पावन पूजा का,
सुखमय रूप हुआ साकार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत अपने भव्य रूप को,
धरती पर फिर प्रकटाये,
नष्ट करे सारे भेदों को,
समरसता नित सरसाये,
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम,
पहचाने निज शक्ति अपार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत भक्ति हृदय में भरकर,
अनथक तप दिन रात करें,
शाखा रुपी नित्य साधना,
सुन्दर सुगठित रूप वरें,
निर्भय होकर बढ़ें निरंतर,
दृढ़ता से जीवन व्रत धार,
भारत की हो जय जयकार।
युग युग से हिन्दुत्व सुधा की,
बरस रही मंगलमय धार,
भारत की हो जय जयकार,
भारत की हो जय जयकार।
बरस रही मंगलमय धार,
भारत की हो जय जयकार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत ने ही सारे जग को,
ज्ञान और विज्ञान दिया,
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से,
जन जन का उपकार किया,
जननी की पावन पूजा का,
सुखमय रूप हुआ साकार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत अपने भव्य रूप को,
धरती पर फिर प्रकटाये,
नष्ट करे सारे भेदों को,
समरसता नित सरसाये,
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम,
पहचाने निज शक्ति अपार,
भारत की हो जय जयकार।
भारत भक्ति हृदय में भरकर,
अनथक तप दिन रात करें,
शाखा रुपी नित्य साधना,
सुन्दर सुगठित रूप वरें,
निर्भय होकर बढ़ें निरंतर,
दृढ़ता से जीवन व्रत धार,
भारत की हो जय जयकार।
युग युग से हिन्दुत्व सुधा की,
बरस रही मंगलमय धार,
भारत की हो जय जयकार,
भारत की हो जय जयकार।
युगों-युगों से हिंदुत्व की पवित्र सुधा इस धरती पर मंगलमय धारा बनकर प्रवाहित हो रही है, जो भारत के गौरव को विश्व में सदा उज्ज्वल करती है। यह वह भूमि है, जिसने विश्व को ज्ञान, विज्ञान और स्नेहपूर्ण दृष्टि से उपकृत किया है। इस जननी की पूजा का सुखमय स्वरूप प्रत्येक हृदय में साकार होता है, जो समस्त मानवता के लिए कल्याण का संदेश लेकर आता है। भारत का यह भव्य रूप, जो समरसता और एकता का प्रतीक है, सारे भेदभावों को मिटाकर विश्व में शांति और सौहार्द का संदेश प्रसारित करता है। इस पुण्य धरा के पुत्र अपनी अपार शक्ति को पहचानकर, निःस्वार्थ भाव से मातृभूमि की सेवा में संलग्न हैं, जिससे भारत का यश और कीर्ति सर्वत्र गूंजे।
इस भारत भक्ति को हृदय में धारण कर, हम दिन-रात अनथक तप और साधना में लीन रहते हैं। संगठन की शाखाओं के रूप में यह साधना एक सुंदर और सुदृढ़ स्वरूप ग्रहण करती है, जो समाज को एकजुट और शक्तिशाली बनाती है। निर्भय और दृढ़ संकल्प के साथ, हम जीवन के प्रत्येक व्रत को पूर्ण निष्ठा से निभाते हैं, ताकि भारत का गौरव और भी उन्नत हो। यह वह शक्ति है, जो हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, और हमारी हर सांस भारत की जय-जयकार में समर्पित है। यह हिंदुत्व की अमर धारा, जो युगों से प्रवाहित है, भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित करने का संकल्प लेती है।
इस भारत भक्ति को हृदय में धारण कर, हम दिन-रात अनथक तप और साधना में लीन रहते हैं। संगठन की शाखाओं के रूप में यह साधना एक सुंदर और सुदृढ़ स्वरूप ग्रहण करती है, जो समाज को एकजुट और शक्तिशाली बनाती है। निर्भय और दृढ़ संकल्प के साथ, हम जीवन के प्रत्येक व्रत को पूर्ण निष्ठा से निभाते हैं, ताकि भारत का गौरव और भी उन्नत हो। यह वह शक्ति है, जो हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, और हमारी हर सांस भारत की जय-जयकार में समर्पित है। यह हिंदुत्व की अमर धारा, जो युगों से प्रवाहित है, भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित करने का संकल्प लेती है।
युग युग से हिंदुत्व सुधा की बरस रही मंगलमय धार। भारत की हो जय - जयकार।।
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।