आरती अंजनी नंदन की लिरिक्स Aarti Anjani Nandan Ki Lyrics

आरती अंजनी नंदन की लिरिक्स Aarti Anjani Nandan Ki Lyrics


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आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

स्वर्ण की आभा बज्र शरीर,
सकल गुण धाम शिरोमणि वीर,
बसे हिये राम धरे धनु तीर,
रूद्र को रूप चरित्र अनूप,
सूरन को भूप,
रामसेवक जगवंदन की,
आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

लांघ शत योजन सागर पार,
सिया सुधि लाये असुरन मार,
भई सब जग में जय जयकार,
वीर बड़बंक बड़ो निस्संक,
फूंक दई लंक,
असुरदल भुजबल खंडन की।
आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

किया रावण सुत शक्ति पात,
लखन जी गिरे मूर्छा खात,
राम जी विकल भये लखि भ्रात,
संजीवन आन दिया जी दान,
उदय नहीं भान,
कालनेमि छल भंजन की,
आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

हुआ भारत में युद्ध महान,
अर्जुन के परम मित्र हनुमान,
विराजे आय ध्वजा बलवान,
प्रबल प्रताप अरि रहे कांप,
चले नही चाप,
गदा लखि राघवरंजन की,
आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

जानकी सो पायो वरदान,
अजर हो अमर महा बलवान,
करें बहु कृपा राम भगवान,
रटूं नित नाम सवारो काम,
मिलादो राम,
हरि मन कलिमल गंजन की,
आरती अंजनी नंदन की,
पवन सुत कष्ट निकंदन की।

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