बलिहारी गुरु आपणैं द्यौं हाड़ी कै वार मीनिंग Balihari Guru Aapne Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
बलिहारी गुरु आपणैं, द्यौं हाड़ी कै वार।
जिनि मानिप तैं देवता, करत न लागी वार॥२॥
जिनि मानिप तैं देवता, करत न लागी वार॥२॥
Balihari Guru Aapne Dyo Hadi Ke Var,
Jini Manip Te Devata Karat Na Lage Baar
सन्दर्भ : इस दोहे में सतगुरु के विषय में कथन है की सतगुरु में दिव्य शक्ति है। सतगुरु ने हाड़ी के सदृश इस तुच्छ, हीन शरीर को दिव्यता प्रदान दी है। सतगुरु के प्रसाद से यह शरीर अब सार्थक हो गया।
भावार्थ—कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की सतगुरु के पावन चरणों में साधक अपने इस शरीर को अधम पचतत्वों से विनिर्मित शरीर को जो जी हाड़ी के जैसे महत्वहीन हैं, न्योछावर हैं. यह सतगुरु की म्हणता ही है की वे मनुष्य को देवता बनाने में अल्प समय ही लगाते हैं, अधिक देरी नहीं लगाते हैं.
शब्दार्थ/Word Meaning
शब्दार्थ/Word Meaning
- बलिहारी = न्यौछावर होना।
- आपसौ = अपने, मेरे / साधक।
- द्यौं = दूर कर दूँ, नष्ट कर दूँ।
- हाड़ी—मृतिका पात्र।
- कै = कितनी।
- कै बार=कितनी बार।
- जिनि = जिन—जिन्हें।
- मानिष = मानुष = मनुष्य।
- नै = ने।
- वार = विलम्ब।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |