माँ के आँचल की छाया तू और कहीं ना पाएगा

माँ के आँचल की छाया तू और कहीं ना पाएगा

(मुखड़ा)
माँ के आंचल की छाया,
तू और कहीं न पाएगा।
मैया का दर छोड़ के,
दुनिया से कहाँ जाएगा।
माँ के नाम को भूलने वाले,
हर पल तू पछताएगा।।
(अंतरा)
माँ का नाम एक पल भी,
मन से जो भुलाएगा।
दर दर वो भटकेगा,
ठोकरें ही खाएगा।
भक्ति के सागर से,
एक बूंद भक्ति की,
मिल जाए तुझको जो,
भव से तर जाएगा।
प्यार कहीं मिलता नहीं,
माँ के दर जो मिलता है।
फूल उस चमन के जैसा,
और कहाँ खिलता है।
मैया के बिन,
जीवन अपना तू कहाँ बिताएगा।
माँ के नाम को भूलने वाले,
हर पल तू पछताएगा।।
(अंतरा)
मैया के दर की ये,
दुनिया तो दीवानी है।
क्यों माँ की ममता महिमा,
तूने न जानी है।
क्यों तेरी आँखों का,
आज सूखा पानी है।
माँ का प्यार भुला क्यों,
करता नादानी है।
कष्ट अपने बच्चों का,
मैया ही मिटाती है।
बेटा जो भूले क्या,
माँ पे बीत जाती है।
ना कर ऐसा वरना,
तू भी पूत कपूत कहलाएगा।
माँ के नाम को भूलने वाले,
हर पल तू पछताएगा।।
(पुनरावृति)
माँ के आंचल की छाया,
तू और कहीं न पाएगा।
मैया का दर छोड़ के,
दुनिया से कहाँ जाएगा।
माँ के नाम को भूलने वाले,
हर पल तू पछताएगा।।
 


शुक्रवार स्पेशल भजन : माँ का आँचल | Maa Ka Aanchal | Ramkumar Lakkha | Hindi Mata Rani Bhajan 2019
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