पर्वत पर बैठे भोलेनाथ आवेगी गौरा पार्वती

पर्वत पर बैठे भोलेनाथ आवेगी गौरा पार्वती


पर्वत पर बैठे भोलेनाथ,
आवेगी गौरा पार्वती...

हरि-हरि भंगिया गाढ़ी पर्वत पर,
पीएंगे भोलेनाथ,
घोटेगी गौरा पार्वती।
पर्वत पर बैठे भोलेनाथ,
आवेगी गौरा पार्वती...

शीश भोले के जटा बिराजे,
बीच में गंगा की धार,
नहाएगी गौरा पार्वती।
पर्वत पर बैठे भोलेनाथ,
आवेगी गौरा पार्वती...

माथे पर चंदा,
गले नागों की माला,
डमरू बजाएं भोलेनाथ,
नाचेगी गौरा पार्वती।
पर्वत पर बैठे भोलेनाथ,
आवेगी गौरा पार्वती...

संग में उनके नंदी सोहे,
नंदी पे होकर सवार,
घूमेगी गौरा पार्वती।
पर्वत पर बैठे भोलेनाथ,
आवेगी गौरा पार्वती...


सोमवार स्पेशल।।।PARVAT PE BETHE BHOLENATH AAVEGI GORA PARVATI

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यह नाम हिमालय पर्वत की पुत्री होने के कारण माता को हम पार्वती भी कहते हैं। माता पार्वती को शक्ति, ऊर्जा, पोषण, सद्भाव, प्रेम, सौंदर्य, भक्ति और मातृत्व की देवी हैं। प्राचीन कहानी के मुताबिक़ जब माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, तो उनके शरीर का रंग काला पड़ गया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उनके शरीर को कांतिमय बना दिया। इस प्रकार माता रानी का  नाम 'गौरी'/ गोरा पड़ा।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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