इह धरती गुरूआं पीरां दी लिरिक्स

इह धरती गुरूआं पीरां दी लिरिक्स

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इह धरती गुरूआं पीरां दी,
ऋषियां मुनीयां फकीरां दी,
गुरूबाणी पढ़दा सुनदा सै,
क्यों मंदे कमी पै गयो वे चट्ट।

ला टीके जान गंवाई जानै,
क्यों मौत नूं गले लगाई जानै,
क्यों वसदे घर उजाड़ रहयो,
तूं किसदी बैंहणी बैंह गयो वे चट्ट।

इह जीवन रब्बी अमानत वे,
करी जावें क्यों तूं खियानत वे,
क्यों देश समाज कानूंन तों,
बेखौफ तूं हुदा जा रहयो वे चट्ट।

मां बाप दी वे जिंदजान है तू,
घर बार पिंड दी शान है तूं,
क्यों चढ़दी जवानी ते आरा,
पतझड़ दा तूं चला रहयों वे चट्ट।

जा धरतीपुतर किसान तूं बन,
जा फौजी वीर जवान तू बन,
खा दुध दहीं मखन घियो वीरा,
क्यों मिठा मौहरा खा रहयो वे चट्ट।

असीं सब तेरे हमदर्दी वे,
तैनू मुड़ मुड़ कर दे अर्जी वे,
जा नशा छोड़ाउ केन्द्र विच,
क्यों घरे लुक के बैह गयो वे चट्ट।

औधे बिल्कुल मुफ्त इलाज होवे,
औथे जिंदगी मुड़ आबाद होवे,
तूं नशा मुक्त हो जावेंगा,
गल मधुप पते दी कह रिहा वे चट्ट।


Dharti Gurua Peera  Di

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