राम स्वयं अनुभव है लिरिक्स

राम स्वयं अनुभव है लिरिक्स


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राम स्वयं अनुभव है,
कण कण में हर क्षण में,
मन मन में है राम,
भारत के घर घर की,
आत्मा है श्रीराम,
जहां वनवास वही राम,
जहां आस वही राम,
राम तो दहलीज है,
करे भला हर काम।

भय से जिसकी अनबन है,
चरित्र जिसका दर्पण है,
वो राम ही तो है जिसका,
जीवन तर्पण है,
जो गुरू माता पिता,
बंधू पत्नी सखा लोकार्पण है।

राम से हर बात करो,
हर बात की शुरूआत करो,
जिसका संयम चारों ओर,
वो राम है भावविभोर।

राम से हमारा वो नाता है,
संकल्प करे हम,
तो वो निभाता है।

राम से रिश्ता,
राम ही आस्था,
राम कर्म विषय है,
लिखा पढ़ा पढ़ाया,
तो भी राम ही,
सबका आशय है।

हर युग में वो आता है,
अपना नूर दिखाता है,
देह से अपना परिचय है,
क्योंकी उसमें राम है।

राम जगत की आशा है,
राम धर्म की परिभाषा है,
राम राज्य गर लाना है,
तो पहले राम बनना है,
को दंड उठाकर,
असूर शक्ती से भिड़ना है।

रामो भुत्वा रामं यजेति,
राम बनके राम को भजो,
राम जैसा जियो,
तभी कुछ भी संभव है,
राम स्वयं अनुभव है,
राम स्वयं अनुभव है।

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