नाचत दै दै कर ताली राघव रामलला
नाचत दै दै कर ताली राघव रामलला लिरिक्स
राघव रामलला,
हर्षित मन मन महतारी,
राघव रामलला.
पग में घुंघरू कमर करधनिया,
कर में कंगन मनोहर बतियां,
बेसर की लटकन न्यारी.
दुई दुई दशन अधर बिच झलकैं,
लोचन कमल के ऊपर पलकैं,
ज्यों भ्रमर करत रखवारी.
भाइन के संग ता ता थैया,
नाचत राघव गावत मैया,
किलकत निज प्रतिबिंब निहारी.
नारद मुदित बजावत वीणा,
कागभुसुंडि का गान प्रवीणा,
उमा संग झूमैं त्रिपुरारी.
प्रभु सुखधाम वैष्णव जन के,
लखि छवि विधि सों मनावत मिलिके,
चिर जीवै अजिर बिहारी.
राघव लला छथि सहाय तखन परवाहे की (राम भजन) - Maithili Thakur
रामलला की बाल लीला मन को ऐसा बांध लेती है कि हर तरफ बस उनकी मासूमियत छा जाती है। उनके पग में घुंघरू की छमछम, कमर में करधनी की झंकार, और हाथों में कंगन की खनक से दिल झूम उठता है। उनकी लटकन और वो चमकती मुस्कान, जैसे सारी दुनिया को मोह ले। राम भक्ति भजनों में ऐसी ही मासूम छवि का गुणगान मिलता है। उनके कमल जैसे नैनों की पलकें, मानो भंवरे फूल की रखवाली कर रहे हों। उनकी वो मुस्कान, जिसमें दो दांतों की झलक दिखती है, मन को हर लेती है। माता यशोदा के साथ उनका नाच, उनकी किलकारी, और खुद को देखकर हंसना, ये सब मन में एक अनोखा आनंद भर देता है।
नारद की वीणा और कागभुसुंडि का गान उनकी लीलाओं को और रंगीन बनाता है। उमा और शिव भी उनके साथ झूमते हैं, जैसे सारा संसार उनकी भक्ति में डूबा हो। शिव भक्ति में भी रामलला के प्रति ऐसी ही श्रद्धा दिखती है। रामलला वैष्णव जनों के लिए सुख का सागर हैं। उनकी छवि देखकर ब्रह्मा भी प्रार्थना करते हैं कि अयोध्या का ये बिहारी सदा बना रहे। उनकी भक्ति में डूबने से मन माया से मुक्त हो जाता है।
चिंतन करने पर लगता है कि रामलला की लीला मन को संसार के बंधनों से ऊपर ले जाती है। जैसे मीराबाई ने श्रीकृष्णजी की भक्ति में सब छोड़ा, वैसे ही रामलला की मासूमियत में खोकर हर चिंता भूल जाती है। धर्म की राह सिखाती है कि उनकी भक्ति ही असली सुख है। संत की तरह जीने का मतलब है उनके नाच में शामिल हो जाना, उनके नाम में रम जाना। रामायण की कथाएं ऐसी ही भक्ति की प्रेरणा देती हैं।
राघव लला छथि सहाय तखन परवाहे की (राम भजन) - Maithili Thakur
Vandana Jha, Kalpana Jha, Supriya Jha, Sadhna Chaudhary, Lalita Thakur, Santoshi Karn
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