राम एक चोखा मेह बरसा दे लिरिक्स
राम एक चोखा मेह बरसा दे,
बाट देख देख दीदे पथरा लिए,
सांस सुक के हलक मैं आ लिए,
तड़के त सांझ ताई,
ऊपर न लखाए जा स,
रोटी ना तल उतरती,
खेत देख घबराए जा स,
क्यों करड़ाई खींच रहा तू,
थोड़ी दया दिखा दे,
राम जी के टोटा स तेर,
दो बूंद पाणी टपका दे,
क्यों जमिंदारा न मार,
राम एक चोखा मेह बरसा दे।
पहला गेर दो आंगल गूंद,
ज़मीदारा त दाणे गिरवा दिए,
बेहवाई जुताई खात बीज के,
मोटे सारे खर्चे लगवा दिए,
फसल जामी नलाव काढयॉ ना,
अपनी औड़ त कसर करी,
पर इब तोज़े मैं आक या,
सुकी जा खेत मैं फसल खड़ी,
बाजरे की जमा पुंजली होली,
कान लटकाए कपास खड़ी,
डांगरा आग गेरण न भी,
ना डोला ड़ाकला प घास रही,
मिल थोड़ा सहारा ज़मीदार,
न एक जोटा ईसा ला दे,
क्यों जमिंदारा न मार,
राम एक चोखा मेह बरसा दे,
राम जी के टोटा हो तेर,
दो बूंद पाणी टपका दे।
चौमासा लाग लिया साढ़ गया,
सावन का महीना आ गया,
सारा सुका काढ़ दिया,
कित्त दिख बादला का निशान ना,
जोते होए खेता मैं रेत उड़,
या प्यासी धरती मेह न तरस,
उगती ही चाम फूंक पड़,
घाम पर पाणी की बूंद ना बरस,
गर्मी त तड़कया निचोड़ सांझ,
आंधी का खंक खड़ा हो,
बारिश का टेम मैं भी अड्ड चालते,
बादला की गूंद ना हो,
के जमा तेल काढ़गा,
इब सांस मैं सांस ल्या दे,
क्यों जमिंदारा न मार,
राम एक चोखा मेह बरसा दे,
राम जी के टोटा स तेर,
दो बूँद पाणी टपका दे।
टेम प कदे भी बरस नही र,
एक एक बूंद न तरसाव स,
खाण के दाणे करण खातिर,
पूरी फसल पंप उठवाव स,
पर लावणी की टीम प फेर,
रोज पावसा खड़ा रह स,
पकी पकाई फसल गालन न,
डोके कर रोज चढ़ा रह स,
जमीदार का होया दुश्मन,
राम वो तेरी मारी मार मर,
जद फसल आण न हो घर,
तब सबकुछ मटिया मेट कर,
थोड़ा तरस खा ले प्रभु,
ज़ख्मा प मलहम ला दे,
क्यों जमिंदारा न मार,
राम एक चोखा मेह बरसा दे,
राम जी के टोटा स तेर,
दो बूँद पाणी टपका दे।
राम एक चोखा मेह बरसा दे। haryanvi poem