सतगुरु साँचा सूरिवाँ मीनिंग Satguru Sancha Surava Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
सतगुरु साँचा सूरिवाँ, सबद जु बाह्या एक।लागत ही मैं मिल गया, पड्या कलेजै छेक॥७॥
Satguru Sancha Surava, Shabad Ju Bahya Ek,
Lagat Hi Main Mil Gaya, Padya Kaleje Chhek.
हिंदी अर्थ व्याख्या सहित : सतगुरु की महिमा का चित्रण करते हुए कबीर साहेब का कथन है की सतगुरु देव ही सच्चे सुरमा है, उन्होंने ज्ञान रूपी एक बाण को बाह्या/चलाया। लगते ही साधक घायल (ज्ञान को प्राप्त हो जाना ) हो गया है और वह साधक के कलेजे को आर पार कर गया है, हृदय तक उसने अपना घर कर लिया है। आशय है की साधक आहत हो गया और उसका "अपनत्व" उसे सम्प्राप्त हो गया है। अपनत्व से आशय गुरु ज्ञान की प्राप्ति से है। साधक माया के जाल में फंस कर / प्रभाव में आकर स्वंय को ही भूल गया है, ऐसे में गुरु अपने ज्ञान रूपी बाण से उसे पुनः जागृत करते हैं। पड्या कलेजे छेक से तात्पर्य है कलेजा (पर मर्म) आहत हो गया है।
शब्दार्थ
शब्दार्थ
- साचा=सच्चा।
- सूरिर्वा=शूरमा।
- सवद=शब्द
- वायह =वहाया,फेंका, मारा/ तीर चलाया ।
- पडयाा=पडा-हुआ।
- छेक प्रभाव डालना।