बांह पकड़ ले श्याम मैं हार के आया हूँ

बांह पकड़ ले श्याम मैं हार के आया हूँ

(मुखड़ा)
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ,
गले लगा ले श्याम,
जग का ठुकराया हूँ,
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।

(अंतरा)
तेरा वचन है मेरे कन्हैया,
तेरा ही ये करार है,
देगा तू हरदम साथ उसी का,
जिसकी दिख रही हार है,
साथ निभा दे मेरा,
उम्मीदें लाया हूँ,
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।

पग पग मैंने धोखे हैं खाए,
इस बेदर्द ज़माने से,
शिकवा नहीं है मुझको कोई,
बाबा किसी बेगाने से,
गिला है मेरे दिल को,
अपनों ने सताया हूँ,
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।

तेरे दर पर आकर भी जो,
आस मेरे दिल की टूटी,
फिर तो यही मैं समझूंगा तेरी,
दया की बातें हैं झूठी,
झूठे हैं तेरे किस्से,
और मैं भरमाया हूँ,
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।

दुखियारों के लाचारों के,
दुःख से बेखबर ना रहना,
‘बागड़ा’ विनती करता है तुझसे,
सुन ले जरा मेरा कहना,
दे दे जरा सी खुशियाँ,
अब तक दुःख पाया हूँ,
बांह पकड़ ले श्याम,
मैं हार के आया हूँ।


Jag Ne Thukraya

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Jag Ne Thukraya · Mukesh Bagda
Mere Deenanath
℗ 2021 Yuki Cassettes | ST
Released on: 2021-07-09
 
श्याम की शरण वह आश्रय है, जहाँ हारा हुआ और दुनिया से ठुकराया भक्त भी गले लगाया जाता है। जैसे ‘साधक’ अपनी व्यथा लेकर उनके दर पर आता है, वैसे ही हर लाचार और दुखियारा उनके वचन पर भरोसा करता है कि वे हारे हुए का साथ कभी नहीं छोड़ते। जमाने के धोखे और अपनों की बेरुखी से घायल मन को श्याम का प्रेम ही संबल देता है। यह पुकार विश्वास की गहराई है, जो कहती है कि अगर उनकी कृपा न मिली, तो सारी बातें झूठी लगेंगी। फिर भी, भक्त का मन यह यकीन रखता है कि श्याम की बाँह पकड़ने से दुखों का अंत होगा, और थोड़ी-सी खुशियाँ जीवन को फिर से रंग देगी। यह भक्ति का रस है, जो हर टूटे मन को श्याम के गले लगने की आस देता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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