भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी लिरिक्स Bhajle Prani Re Agyani Lyrics

भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी लिरिक्स Bhajle Prani Re Agyani Lyrics

 
भज ले प्राणी रे अज्ञानी दो दिन की जिंदगानी लिरिक्स Bhajle Prani Re Agyani Lyrics

भज ले प्राणी रे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
रे कहां तू भटक रहा है,
यहां क्यों भटक रहा है।

झूठी काया झूठी माया,
चक्कर में क्यों आया,
जगत में भटक रहा है।

नर तन मिला है तुझे,
खो क्यों रहा है प्यारे खेल में,
कंचन सी काया तेरी,
उलझी है विषयों के बेल में,
सुख और वैभव सारा,
कुछ भी नहीं तुम्हारा,
व्यर्थ सिर पटक रहा है।

चंचल गुमानी मन अब तो,
जन्म को संवार ले,
फिर न मिले तुझे अवसर,
ऐसा बारंबार रे,
रे अज्ञानी तज नादानी,
भज ले सारंग पाणी,
व्यर्थ सर पटक रहा है।


Bhaj Le Prani Re Agyani Bhajan by Pujya Shree Rajan Jee Maharaj at Rajpur Ramkatha


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