कुटुंब तजि शरण राम तेरी आयो
तझी घन लंक मेहल ओह मंदिर,
नाम सुनत उठी धायो,
कुटुंब तजि शरण राम तेरी आयो।
भरी सभा में रावन बेठियो,
चरण परहार चलायो मुरख,
अंध कहे नही माने,
बार बार समज जायो,
कुटुंब तजि शरण राम तेरी आयो।
आवत ही लंका पति,
कीनू हरी हस कंठ लगायो,
जन्म जन्म के मिटे प्रभाव,
राम दर्श जब पायो,
कुटुंब तजि शरण राम तेरी आयो।
हे रघुनाथ अनाथ के बंधू,
दीन जान अपनायो,
तुलसी दास रघुवीर शरण से,
भगती अभय पद पायो,
कुटुंब तजि शरण राम तेरी आयो।
Kutumb Taji Sharan - Pandit Ravishankar | Audio | Krishna Bhajan | Sanskar Bhajan
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