सबसे पहले गणराजा आपको मनाएंगे
सबसे पहले गणराजा आपको मनाएंगे भजन
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
विनती करूँ बार-बार मैं,
शीश को झुकाएँगे।।
एकदंत दयावंत हो,
चार भुजा धारी हो,
मस्तक सिंदूर सोहे,
मूषक सवारी हो,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे।।
अंधे को आँख देते,
ऊँचे को काया है,
बांझन को पुत्र देते,
निर्धन को माया है,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे।।
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
विनती करूँ बार-बार मैं,
शीश को झुकाएँगे।।
आपको मनाएँगे,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
विनती करूँ बार-बार मैं,
शीश को झुकाएँगे।।
एकदंत दयावंत हो,
चार भुजा धारी हो,
मस्तक सिंदूर सोहे,
मूषक सवारी हो,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे।।
अंधे को आँख देते,
ऊँचे को काया है,
बांझन को पुत्र देते,
निर्धन को माया है,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे।।
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
सबसे पहले गणराजा,
आपको मनाएँगे,
विनती करूँ बार-बार मैं,
शीश को झुकाएँगे।।
तुम ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे तर्ज पर गणेश जी का भजन 🌹sabse pahale ganraja| Ganesh chaturthi song
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गणेश जी को गणराज, गणेश, गणनायक, और गणपति जैसे नामों से पुकारने के पीछे एक ही मुख्य कारण है: उनका गणों के स्वामी होना। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने उन्हें अपने सभी गणों (अनुचरों और देवताओं के समूह) का सर्वोच्च मुखिया नियुक्त किया था। इसी कारण, गणेश नाम 'गण' और 'ईश' (स्वामी) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'गणों के स्वामी'। इसी तरह, गणपति नाम भी 'गण' और 'पति' (स्वामी या अधिपति) से बना है। गणनायक का अर्थ है 'गणों के नेता' क्योंकि 'नायक' का मतलब मुखिया होता है, और अंत में, गणराज नाम 'गण' और 'राजा' से मिलकर बना है, जो उन्हें गणों का राजा घोषित करता है।
प्रभु की कृपा और दया का भाव मानव जीवन में एक ऐसी शक्ति है, जो हर संकट में सहारा बनती है और मन को शांति प्रदान करती है। यह भाव हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और नम्रता के साथ प्रभु के चरणों में शीश झुकाने से जीवन के सारे विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। यह विश्वास कि सर्वप्रथम प्रभु का स्मरण और उनकी आराधना करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है, मनुष्य को एक नई दिशा और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह भाव जीवन में प्राथमिकता का महत्व दर्शाता है, कि हमें सबसे पहले उस परम शक्ति को याद करना चाहिए, जो हमें हर परिस्थिति में मार्गदर्शन देती है। सच्ची श्रद्धा और बार-बार की गई प्रार्थना न केवल मन को निर्मल बनाती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में प्रभु की कृपा को आकर्षित करती है।
प्रभु की महिमा अपार है, जो दुखियों के दुख हरती है और असहायों को सहारा देती है। उनकी कृपा से अंधे को दृष्टि, रोगी को स्वास्थ्य, और निर्धन को समृद्धि प्राप्त होती है। यह दैवीय शक्ति अपने भक्तों के जीवन में चमत्कारिक रूप से कार्य करती है, जो न केवल भौतिक सुख प्रदान करती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करती है। उनकी दिव्य उपस्थिति और शुभ गुण, जैसे करुणा, शक्ति, और दया, हर भक्त के हृदय में श्रद्धा और विश्वास को और गहरा करते हैं।
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Admin - Saroj Jangir
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