मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह,
आरिया तू चीरी जाई वे,
आरिया तू चीरी जाई वे,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
सीखी वाली राह उते,
तुरदे ही जावागे,
लोड पई तत्ती रेत,
सिर ते पुआवंगे,
सहनु मौत दी नही परवाह,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
सिंह दशमेश जी दे,
कहिए ते जावांगे,
पिता जी दे नाम लई,
दाग ना लुआवंगे,
असा बंद बंद लेना कटवा,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
दीना अते दुखियां नु,
गले असी लावांगे,
निमानियां निमानियां दे,
दुखड़े मितावांगे,
सहनु सिरा दी नही परवाह,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
सिरों वग के किना ही खून चो गया,
चोंक चांदनी दा दिल्ही वल हो गया,
असा खोपड़ियां लाइयां ने लुहा,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
आरा खिचदा जलाद सूल ढोलियां,
मुखो गज के सी मती दास बोलियां,
असा बंद बंद लेना कटवा,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
आरा करदा दो फाड़ है शरीर नु,
लोकी वेख के वगाउंदे अखो नीर नु,
सहनु सिरा दी नही परवाह,
आरिया तू चीरी जाई वे,
मैं सीखी दा नहीं छड़ना राह।
Miri Piri Khalsa (Jagadhari Wale) - Main Sikhi Da Nee Chhadna Raah
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