मेरे राम मेरे घर आयेंगे आयेंगे प्रभु आयेंगे
मेरे राम मेरे घर आयेंगे आयेंगे प्रभु आयेंगे
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे,
प्रभु के दर्शन की आस है,
और भीलनी को विश्वास है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
अंगना रस्ता रोज बुहार रही,
खड़ी खड़ी वो राह निहार रही,
मन में लगन भीलनी मगन,
भीलनी को भारी चाव है,
और मन में प्रेम का भाव है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
ना जानू सेवा पूजा की रीत,
क्या सोचेंगे मेरे मन के मीत,
शर्म आ रही घबरा रही,
वो भोली भाली नार है,
प्रभु को भोलों से प्यार है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
चुन चुन लायी खट्टे मीठे बेर,
आने में क्यों करते हो प्रभु देर,
प्रभु आ रहे मुस्का रहे,
प्रभु के चरणों में गिर पड़ी,
और असुअन की लागी झड़ी,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
अंसुवन से धोए प्रभु जी के पैर,
चख चख कर के खिला रही थी बेर,
प्रभु कह रहे मुस्का रहे,
इक प्रेम के वश में राम है,
और प्रेम का यह परिणाम है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
प्रभु तेरी खातिर अटक रहे थे प्राण,
मुक्ति दे दो मुझको कृपानिधान,
लेलो शरण अपनी चरण,
शबरी से बोले राम हैं,
जा खुला तेरे लिए धाम है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
जो कोई ढूंढे प्रभु को दिन और रात,
उसे ढूंढ़ते इक दिन दीनानाथ,
हरी को भजो सुमिरन करो,
बिन्नू यह निश्चय जान लो,
तुम प्रभु को अपना मान लो,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
आयेंगे प्रभु आयेंगे,
प्रभु के दर्शन की आस है,
और भीलनी को विश्वास है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
अंगना रस्ता रोज बुहार रही,
खड़ी खड़ी वो राह निहार रही,
मन में लगन भीलनी मगन,
भीलनी को भारी चाव है,
और मन में प्रेम का भाव है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
ना जानू सेवा पूजा की रीत,
क्या सोचेंगे मेरे मन के मीत,
शर्म आ रही घबरा रही,
वो भोली भाली नार है,
प्रभु को भोलों से प्यार है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगे,
आयेंगे प्रभु आयेंगे।
चुन चुन लायी खट्टे मीठे बेर,
आने में क्यों करते हो प्रभु देर,
प्रभु आ रहे मुस्का रहे,
प्रभु के चरणों में गिर पड़ी,
और असुअन की लागी झड़ी,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
अंसुवन से धोए प्रभु जी के पैर,
चख चख कर के खिला रही थी बेर,
प्रभु कह रहे मुस्का रहे,
इक प्रेम के वश में राम है,
और प्रेम का यह परिणाम है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
प्रभु तेरी खातिर अटक रहे थे प्राण,
मुक्ति दे दो मुझको कृपानिधान,
लेलो शरण अपनी चरण,
शबरी से बोले राम हैं,
जा खुला तेरे लिए धाम है,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
जो कोई ढूंढे प्रभु को दिन और रात,
उसे ढूंढ़ते इक दिन दीनानाथ,
हरी को भजो सुमिरन करो,
बिन्नू यह निश्चय जान लो,
तुम प्रभु को अपना मान लो,
मेरे राम मेरे घर आयेंगें।
Mere Ram Mere Ghar Aayenge By Harmahendra Singh
आतुर भक्ति और निष्कपट प्रेम का यह चित्र शबरी की आत्मा से निकली उस तीव्र पुकार का रूप है, जिसमें प्रतीक्षा ही साधना बन जाती है। छोटे से आश्रम का हर कण, हर पत्ता, हर साँस एक ही भावना में डूबा है — “राम आयेंगे।” यह कोई बाहरी पूजा नहीं, बल्कि भीतर का आह्वान है – जहाँ विश्वास कभी डगमगाता नहीं, चाहे समय कितना भी बीत जाए। शबरी का प्रेम किसी कर्मकाण्ड से नहीं, बस सच्चे समर्पण से भरा है; वही प्रेम इतना प्रबल है कि स्वंय प्रभु को आकर्षित कर लेता है।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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