मुझे मिले नहीं भगवान भजन

मुझे मिले नहीं भगवान भजन

 
मुझे मिले नहीं भगवान भजन

मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

काशी मथुरा हरिद्वार गया,
गंगा सागर केदार गया,
मैंने ढूंढा सभी जहान,
ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

वृन्दावन के वन में ढूंढे,
गोकुल के ग्वालन में ढूंढे,
प्रभु हो गए अन्तर्ध्यान,
ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

गीता रामायण में ढूंढे,
बद्रीनारायण में ढूंढे,
सब ढूंढे वेद पुराण,
ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

गंगा यमुना और त्रिवेणी,
गंगोत्री यमुनोत्री बेड़ी,
ढूंढे केदार महान,
ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

ऋषि मुनियों के द्वारे ढूंढे,
सब ज्ञान के भंडारे ढूंढे,
मिले भक्ति से भगवान,
ढूंढ के हार गया,
मुझे मिले नहीं भगवान,
मैं ढूंढ के हार गया।

मुझे मिले नहीं भगवान Mujhe Mile Nahi Bhagwan !! Raghavcharananuragi Hari Om Tiwari || ShriRam Bhajan


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Singer- Sarweshwer Sharan

भगवान की खोज में मनुष्य अक्सर बाहरी तीर्थों, पवित्र नदियों और शास्त्रों की ओर दौड़ता है, परंतु सच्चा मिलन तो हृदय की गहराई में ही संभव है। तीर्थस्थलों जैसे काशी, मथुरा, हरिद्वार, गंगा सागर, और केदारनाथ की यात्रा, या वृंदावन और गोकुल के वनों में भटकना, यह सब भक्त की उस तीव्र इच्छा को दर्शाता है, जो परमात्मा के दर्शन की प्यास से उत्पन्न होती है। पर जब वह इन बाहरी साधनों में थककर हार मान लेता है, तब उसे यह अहसास होता है कि भगवान बाहरी स्थानों में नहीं, बल्कि उसके अपने अंतर्मन में निवास करते हैं। यह खोज केवल शारीरिक यात्रा तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक आंतरिक यात्रा है, जो मनुष्य को अपनी आत्मा के साथ जोड़ती है और उसे उस अनंत सत्य के निकट ले जाती है, जो हर जगह और हर पल में विद्यमान है। 

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