तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई भजन
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे भजन
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
हमारा नहीं कोई रे, सहारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
गहरी गहरी नदियाँ, नाँव पुराणी,
डूबन लागी नाँव बचाया, नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
अमवा को डाली पर, पिंजड़ा टँगाया,
उड गया सूवा, पढ़ाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
भाई और बन्धु कुटुम्ब कबीला,
बिगड़ी जो बात, बनाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
जब से तेरी शरण मै आया,
तेरे जैसा लाड़ लड़ाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
गुरु बिन ज्ञान, सिखाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
हमारा नहीं कोई रे, सहारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम,
मैंने तुझ पर सब कुछ वारा,
तू मुझको प्राणों से प्यारा,
तेरे जैसा साथ, निभाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
तेरे बिना श्याम,
घर-घर तेरा नाम जपाऊँ,
तेरी महिमा सबको सुनाऊँ,
तेरे जैसा प्रेम, दिखाया नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
हमारा नहीं कोई रे, सहारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे,
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई
एकादशी स्पेशल भजन | तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे | Best Sanjay Mittal Song | Shyam Bhajan
➤Album :- Shyam Sarkar
➤Song :- Tere Bina Shyam Humara Nahi Koi Re
➤Singer :- Sanjay Mittal
➤Music :- Sanjay Mittal
➤Writer :- Sanjay Mittal
➤ Label :- Vianet Media
➤ Sub Label :- Saawariya
जब जीवन की डोर हर सांस के साथ उनके चरणों से जुड़ जाती है, तब संसार के सारे रिश्ते फीके से लगने लगते हैं। इस भाव में एक निष्कपट प्रेम है, जो न किसी प्रतिदान की अपेक्षा रखता है, न किसी उपहार की। यह तो उस गाढ़े अंधेरे में दीए जैसी आस्था है, जो कहती है — “तेरे बिना जीवन अर्थ हीन है।” चाहे नदी की गहराई बढ़ जाए, नांव पुरानी हो जाए, पर हृदय का साहस उसी के भरोसे तैरता है। श्याम वही आधार हैं, जो डूबती नाव को पार लगाते हैं, और बिखरे जीवन को नया अर्थ देते हैं। श्याम की शरण में वह मिठास मिलती है जो प्रेम के पार की अनुभूति देती है—जहाँ वाणी मौन हो जाती है और हृदय स्वयं भक्ति बन जाता है। यह भाव यह भी जताता है कि उनके जैसा गुरु, सखा और पालक कोई नहीं। वही हैं जो गिरा हुआ हाथ थाम लेते हैं और बिखरे जीवन को संवार देते हैं। इस अनुभूति में मन यही दोहराता है—“तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे”—क्योंकि उसी एक नाम में सृष्टि का हर सहारा समाया है, और उसी एक स्नेह में समर्पण की पराकाष्ठा झलकती है।
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