श्री करणी माता भोग आरती
श्री करणी माता भोग आरती
सभी मिल सकल नवलख संग डोकरी जिमो डाढाली
आसो दाख दुबारा बिस्की पीवो मद प्याली
सुवर्ण थाल छत्तीसों भोजन बैठो बिरदाली ।१।
साठ पुलाव सोवाता लीजे माता मतवाली
दाब कलेजी और भुजंगो जिमो माँ काली ।२।
घेवर पुड़ी पकवान मिठाई खटरस इस थाली
आप आरोगो मातेश्वरी चंडी चिरताली ।३।
ऋद्धि सिद्धि चंवर करें निज कर सूँ आनंद उजियाली
कंचन कलश गंगाजल भरियो पीवो प्रतिपाली ।४।
ढोल नगाड़ा नावत झालर बाज रही ताली
मेहाई जब मात आरोगे बीस भुजा वाली ।५।
अम्बादान चंडी तेरो चेरो माँ घावळ वाली
काट कलेश दारिद्र दुख हर कर संपत्ति सारी ।६।
॥ दोहा ॥
करनी ने रात दिन आवे वेग अपार
अबकी बेला अम्बिका ले नवलख ने लार
आसो दाख दुबारा बिस्की पीवो मद प्याली
सुवर्ण थाल छत्तीसों भोजन बैठो बिरदाली ।१।
साठ पुलाव सोवाता लीजे माता मतवाली
दाब कलेजी और भुजंगो जिमो माँ काली ।२।
घेवर पुड़ी पकवान मिठाई खटरस इस थाली
आप आरोगो मातेश्वरी चंडी चिरताली ।३।
ऋद्धि सिद्धि चंवर करें निज कर सूँ आनंद उजियाली
कंचन कलश गंगाजल भरियो पीवो प्रतिपाली ।४।
ढोल नगाड़ा नावत झालर बाज रही ताली
मेहाई जब मात आरोगे बीस भुजा वाली ।५।
अम्बादान चंडी तेरो चेरो माँ घावळ वाली
काट कलेश दारिद्र दुख हर कर संपत्ति सारी ।६।
॥ दोहा ॥
करनी ने रात दिन आवे वेग अपार
अबकी बेला अम्बिका ले नवलख ने लार
Karni Maa Bhog Aarti | Asha Bhosle | Deshonk | भोग आरती करणी माँ | CHIRJA | Shyam Sound Nokha
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देशनोक, बीकानेर में स्थित करणी माता का मंदिर एक अद्भुत और पवित्र स्थान है। इस मंदिर में लाखों चूहे रहते हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है, और उन्हें देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। भक्त चूहों को दूध, मिठाई और अनाज खिलाते हैं और उनकी देखभाल करते हैं। मंदिर के परिसर में इन चूहों का स्वच्छंद विचरण भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव होता है। यह मंदिर न केवल अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह श्रद्धा और विश्वास का एक बड़ा प्रतीक भी है। करणी माता, जिन्हें रिघु बाई के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 1387 ईस्वी में राजस्थान के जोधपुर जिले के सुआप गाँव में चारण मेहाजी किनिया और देवल देवी के घर हुआ था।
पुत्र प्राप्ति की कामना से मेहाजी ने हिंगलाज माता की यात्रा की, जहाँ देवी ने वरदान दिया कि उनकी पत्नी को पुत्री के रूप में ही अवतार प्राप्त होगा। बचपन से ही चमत्कारिक शक्तियों वाली करणी माता ने विवाह के बाद सांसारिक मोह त्याग दिया और अपनी बहन गुलाब को पति के साथ सौंपकर तपस्या में लीन हो गईं। उन्होंने बीकानेर के राव जोधा और जोधपुर के राव लाखा जैसे राजाओं को आशीर्वाद देकर रियासतों की स्थापना में सहायता की, साथ ही गौ-रक्षा, नारी उत्थान और पर्यावरण संरक्षण जैसे मानवीय कार्यों से लोक देवी का दर्जा प्राप्त किया। बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित उनके संगमरमर के भव्य मंदिर का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी में करवाया, जहाँ काबा कहे जाने वाले सफेद चूहे उनकी संतान के अवतार माने जाते हैं। उनकी कथा चमत्कारों, युद्ध विजयों और भक्तों के कल्याण से भरी पड़ी है, जो आज भी लाखों श्रद्धालुओं को प्रेरित करती है।
! सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी !!
{1} :- आसो दाख दुबारो विस्की पीवो मद् प्याली सुवर्ण थाळ छतीसों भोजन बैठो बिरदाळी.....
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
{2} :- साठ पुलाव सोयतो लिजे माँता मतवाळी दाब कळेजी ओर भुजवो जिमो माँ काळी......
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
{3} :- घेवर पुड़ी पकवान मिठाई खटरस ईक थाळी आप अरोगो मात ईश्वरी चंडी चीरताळी.....
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
{4} :- रिद्धि-सिद्धि चंवर करे निज करसु आनन्द उजयाळी कंचन कळश गंगाजळ भरियो पीवो प्रतिपाली....
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
{5} :- ढोल नगाड़ा नोबत झालर बाज रही टाळी मेहाई जद मात अरोगो बीस भुजावाळी......
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
{6} :- अम्बादान चंडी तेरो चेरो माँ धाबळ वाळी काट कळेश दुखः हर दारिद्र करो सम्पत साळी.....
सभी मिल सगत्यां नवलख संग डोकरी जिमो डाढाळी....
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Author - Saroj Jangir
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