रामजी की सेना चली भजन
रामजी की सेना चली भजन
रामजी की सेना चली,
पापियों के नाश को,
धर्म के प्रकाश को,
रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव।
पाप अनाचार में,
घोर अन्धकार में,
एक नई ज्योति जली,
एक नई ज्योति जली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली।
निशिचर हीन करेंगे धरती,
यह प्राण है श्री राम का,
जब तक काम न पूरण होगा,
नाम नहीं विश्राम का,
उसे मिटाने चले थे जिसका,
मंत्र स्वयं रक्षाम का,
समय अचल निकट राम,
और रावण के संग्राम का,
समय महा संग्राम का,
तीन लोक धन्य हैं,
देवता प्रसन्न हैं,
आज मनोकामना फली,
आज मनोकामना फली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव।
रामचन्द्रजी के संग लक्ष्मण,
कर में लेकर बाण चले,
लिए विजय विश्वास ह्रदय में,
संग वीर हनुमान चले,
सेना संग सुग्रीव नील नल,
अंगद छाती तान चले,
उसे बचाए कौन के जिसका,
वध कराने भगवान चले,
वध कराने भगवान चले,
आगे रघुनाथ हैं,
वीर साथ साथ हैं,
एक से एक बलि,
एक से एक बलि,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली।
प्रभु लंका पर डेरा डाले,
जब महासागर पार हो,
कब हो सफल अभियान हमारा,
कब सपना साकार हो,
पाप अनीति मिटे धरती से,
धर्म की जय जयकार हो,
कब हो विजयी राम हमारे,
कब रावण की हार हो,
कब रावण की हार हो,
राम जी से आस है,
राम पे विश्वास है,
राम जी करेंगे भली,
राम जी करेंगे भली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव,
जय भवानी,
जय भवानी,
जय भवानी।
पापियों के नाश को,
धर्म के प्रकाश को,
रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव।
पाप अनाचार में,
घोर अन्धकार में,
एक नई ज्योति जली,
एक नई ज्योति जली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली।
निशिचर हीन करेंगे धरती,
यह प्राण है श्री राम का,
जब तक काम न पूरण होगा,
नाम नहीं विश्राम का,
उसे मिटाने चले थे जिसका,
मंत्र स्वयं रक्षाम का,
समय अचल निकट राम,
और रावण के संग्राम का,
समय महा संग्राम का,
तीन लोक धन्य हैं,
देवता प्रसन्न हैं,
आज मनोकामना फली,
आज मनोकामना फली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव।
रामचन्द्रजी के संग लक्ष्मण,
कर में लेकर बाण चले,
लिए विजय विश्वास ह्रदय में,
संग वीर हनुमान चले,
सेना संग सुग्रीव नील नल,
अंगद छाती तान चले,
उसे बचाए कौन के जिसका,
वध कराने भगवान चले,
वध कराने भगवान चले,
आगे रघुनाथ हैं,
वीर साथ साथ हैं,
एक से एक बलि,
एक से एक बलि,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली।
प्रभु लंका पर डेरा डाले,
जब महासागर पार हो,
कब हो सफल अभियान हमारा,
कब सपना साकार हो,
पाप अनीति मिटे धरती से,
धर्म की जय जयकार हो,
कब हो विजयी राम हमारे,
कब रावण की हार हो,
कब रावण की हार हो,
राम जी से आस है,
राम पे विश्वास है,
राम जी करेंगे भली,
राम जी करेंगे भली,
श्री रामजी की सेना चली,
रामजी की सेना चली,
हर हर महादेव,
हर हर महादेव,
जय भवानी,
जय भवानी,
जय भवानी।
Ram Ji Ki Sena Chali | Ravindra Jain's Ram Bhajans
पाप और अन्याय का अंधकार जब धरती को घेर लेता है, तब धर्म की ज्योति लेकर श्रीराम की सेना आगे बढ़ती है। यह यात्रा अधर्म के विनाश और धर्म के प्रकाश की उद्घोषणा है। संकल्प है कि पाप का लोप और सत्य की प्रतिष्ठा होनी ही है, जब तक कार्य पूर्ण न हो, विश्राम का कोई प्रश्न नहीं। विशाल महासंग्राम का समय आ पहुँचा है—राम के संकल्प और रावण के अहंकार का निर्णायक टकराव होने वाला है।लंका की ओर बढ़ते हुए राम के साथ लक्ष्मण बाण संधान किए, वीर हनुमान संकल्पित, और संग सुग्रीव, नील, नल, अंगद—सभी महारथी छाती तानकर चले। यह शक्ति, साहस और धर्म की एकजुटता का दृश्य है, जहाँ प्रत्येक योद्धा धर्मरक्षा का भार अपने हृदय में लेकर अग्रसर है।
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