तपसी रूप संभाला। पति रूप शिवजी को पाने, बहुत कठिन व्रत लीन्हा, सहस्र वर्ष फल-फूल खायके, आप घोर तप कीन्हा।।
तीन सहस्र वर्षों तक सूखे, बिल्व पत्र तुम खाये, वर्षा, धूप, शीत सह तुमने, हाय! महा दुःख पाये।
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
कई वर्षों तक निराहार रह, निर्जल ही तप कीन्हा, हो प्रसन्न तब महादेव ने, मनवांछित वर दीन्हा।।
नाम पड़ा तब से ब्रह्मचारिणी, हे सुखशांति स्वरूपा, जो ध्याये मन, वचन से तुमको, पड़े न वह भवकूपा। हे जगजननी ब्रह्मचारिणी,
कृपादृष्टि अब कीजे, श्री चरणारविंद की भक्ति, मोहि दया कर दीजे।।
तप, वैराग्य, त्याग दात्री, हे दोष निवारिणी माता, करूँ वंदना मैं अशोक, हे तपसचारिणी माता।।
(पुनरावृति) हिमगिरि सुता रूप जगदंबा, ब्रह्मचारिणी माते, दूजी ज्योतिर्मयी शक्ति तुम, भवभयहारिणी माते।।
हिमगिरि सुता रूप जगदम्बा- माँ ब्रह्मचारिणी की कठोर तपस्या और शिवजी को पाने की उनकी दृढ़ साधना का यह भजन वर्णन करता है। इसमें बताया गया है कि माँ ने सहस्रों वर्षों तक कठिन तप किया और अंततः महादेव से वरदान प्राप्त किया। भजन भक्तों से माँ ब्रह्मचारिणी की भक्ति और कृपा पाने का आग्रह करता है, जिससे जीवन के सभी संकट दूर हो सकें।