बड़ी मन्नतो से था पाया तुझे

बड़ी मन्नतो से था पाया तुझे

बड़ी मन्नतों से था पाया तुझे,
रहे भूखे, लेकिन खिलाया तुझे,
मगर तूने बदले में ये किया,
तू कितनों का बेटा था, माँ-बाप था,
तूने ये क्या किया,
बड़ी मन्नतों से था पाया तुझे।।

कभी लड़खड़ाए तेरे पांव जब,
तब ऊंगली पकड़ के चलाया तुझे,
तू रातों को उठ-उठ के रोता था जब,
तो बाहों में अपनी लाया तुझे।
तू ममता के मारों का दिल तोड़ कर,
अलग हो रहा है इन्हें छोड़ कर,
बुढ़ापे में अब कौन पूछे इन्हें,
ओ नादान बता, प्यार का क्या किया।
बड़ी मन्नतों से था पाया तुझे।।

कई बार गिरवी रखीं चूड़ियां,
मगर फिर भी ज़्यादा पढ़ाया तुझे,
फटे कपड़ों सी कंबल पहन कर,
बड़ा आदमी था बनाया तुझे।
मगर भूल कर इनका उपकार ही,
लगाया गले तूने संसार ही,
कहा उसने और तू अलग हो गया,
तू कितनों का बेटा था, माँ-बाप था,
तूने ये क्या किया,
बड़ी मन्नतों से था पाया तुझे।।

बड़ी बदनसीबी है माँ-बाप की,
जो इकलौता बेटा भी ऐसा मिला,
गला घोंट दो ऐसी संतान का,
जो सारी उम्र रोना पड़े।
जो दुखाते दिल जो भी माँ-बाप का,
उन्हें मिलता रास्ता सदा नरक का,
जहां भर में दर-दर भटके हैं वो,
ममता को जिनको हर दुख दिया।
बड़ी मन्नतों से था पाया तुझे।।


28 July 2018 बड़ी मन्नतो से था पाया तुझे bhajan by acharya parvesh dass ji

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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