उलटी गंगा ना बहे झुके ना आसमान भजन

उलटी गंगा ना बहे झुके ना आसमान भजन

उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान,
मेरी मैया कभी न भूले,
भैया करना भगत का काम,
उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान।

मैया जी का काम यही है,
काम भगत का करना जी,
इसकी चिंता इक यही है, 
भगतों को खुश रखना जी,
मेरा बेटा मौज उड़ाए है,
इसका यही अरमान,
उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान।

जिस दिन से मैया की,
घर में इक तस्वीर लगाई जी,
उस दिन से समझो हमने,
अपनी तक़दीर जगाई है,
उस दिन से जुटा रही है,
मेरी खुशियों का सामान,
उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान।

अगर नहीं मिलता मैया से,
ये जीवन बेकार था,
लगता था मेरी किस्मत को,
मैया का इंतज़ार था,
मेरे जैसा नहीं भग भागी,
मेरी मां से हुई पहचान,
उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान।

वनवारी मां के बारे में,
इतना ही कहना काफी,
मां का हाथ रहे सिर पर,
तो कैसे काम रहे बाकी,
मेरी प्यासी आत्मा दिन भर,
मेरी मैया का गुणगान,
उलटी गंगा ना बहे,
झुके ना आसमान।


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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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