अहिल्याकृत श्रीराम स्तुति/परसत पद पावन सोकनसावन लिरिक्स Ahilyakrit Shriram Stuti Lyrics

अहिल्याकृत श्रीराम स्तुति/परसत पद पावन सोकनसावन लिरिक्स Ahilyakrit Shriram Stuti Lyrics

अहिल्याकृत श्रीराम स्तुति/परसत पद पावन सोकनसावन लिरिक्स Ahilyakrit Shriram Stuti Lyrics

छंद
परसत पद पावन सोक नसावन,
प्रगट भई तपपुंज सही,
देखत रघुनायक जन सुख दायक,
सनमुख होइ कर जोरि रही।

अति प्रेम अधीरा पुलक सरीरा,
मुख नहिं आवइ बचन कही,
अतिसय बड़भागी चरनन्हि लागी,
जुगल नयन जलधार बही।

धीरजु मन कीन्हा प्रभु कहुँ चीन्हा,
रघुपति कृपाँ भगति पाई,
अति निर्मल बानीं अस्तुति ठानी,
ग्यानगम्य जय रघुराई।

मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन,
रावन रिपु जन सुखदाई,
राजीव बिलोचन भव भय मोचन,
पाहि पाहि सरनहिं आई।

मुनि श्राप जो दीन्हा,
अति भल कीन्हा,
परम अनुग्रह मैं माना,
देखेउँ भरि लोचन हरि भवमोचन,
इहइ लाभ संकर जाना।

बिनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी,
नाथ न मागउँ बर आना,
पद कमल परागा रस अनुरागा,
मम मन मधुप करै पाना।

जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता,
प्रगट भई सिव सीस धरी,
सोइ पद पंकज जेहि पूजत,
अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी।

एहि भाँति सिधारी गौतम नारी,
बार बार हरि चरन परी,
जो अति मन भावा सो बरु पावा,
गै पतिलोक अनंद भरी।

दोहा
अस प्रभु दीनबंधु हरि,
कारन रहित दयाल,
तुलसिदास सठ तेहि भजु,
छाड़ि कपट जंजाल।


अहिल्या कृत श्री राम स्तुति l परसत पद पावन सोकनसावन l Ramcharitmanas l Madhvi Madhukar


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