अक्षय तृतीया अक्षय लीला लिरिक्स Akshay Tratiya Bhajan Lyrics
अक्षय तृतीया अक्षय लीला,
नवरंग गिरिधर पहेरत चन्दन,
वामभाग वृषभान नंदिनी,
बिचबिच चित्र लिए नववंदन।
तन सुख छींट इजार बनी हे,
पीत उपरना विरह निकंदन,
उर उदार, वनमाल मल्लिका,
सुभग पाग युवतिन मन फंदन।
नखशिख रत्न अलंकृत भूषण,
श्री वल्लभ मारग जनरंजन,
कृष्णदास प्रभु, गिरिधर नागर,
लोचन चपल लजावत खंजन।
नवरंग गिरिधर पहेरत चन्दन,
वामभाग वृषभान नंदिनी,
बिचबिच चित्र लिए नववंदन।
तन सुख छींट इजार बनी हे,
पीत उपरना विरह निकंदन,
उर उदार, वनमाल मल्लिका,
सुभग पाग युवतिन मन फंदन।
नखशिख रत्न अलंकृत भूषण,
श्री वल्लभ मारग जनरंजन,
कृष्णदास प्रभु, गिरिधर नागर,
लोचन चपल लजावत खंजन।
Akshay Trutiya Akshay Leela | Akshay Trutiya Kirtan | Pushtiras
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