जमुना के तीर कान्ह चंग लिरिक्स
जमुना के तीर कान्ह चंग,
उड़ाय छबीसों रमैया,
हों जमुना जल भरन गई री औचक,
दृष्टि पर गई दैया छबीसों रमैया।
ऐंचन तनक मन उरझोरी व्याकुल,
भई कोऊ धीर न धरैया,
व्रजाधीश घट पकरत भूली लाज,
कान कुल अब न रहैया।
जमुना के तीर कान्ह,
चंग उड़ाय छबीसों रमैया,
श्री यमुना जी के तट पर प्रभु,
पतंग उड़ा रहे हैं रमैया।
जमुना के तीर | Makar Sankranti | Pushtiras
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