जय जय सुरनायक जन सुखदायक लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Bhajan Lyrics

जय जय सुरनायक जन सुखदायक लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Bhajan Lyrics



जय जय सुरनायक जन सुखदायक लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Bhajan Lyrics

जय जय सुरनायक,
जन सुखदायक,
प्रनतपाल भगवंता,
गो द्विज हितकारी,
जय असुरारी,
सिंधुसुता प्रिय कंता।

पालन सुर धरनी अद्भुत करनी,
मरम न जानइ कोई,
जो सहज कृपाला दीनदयाला,
करउ अनुग्रह सोई।

जय जय अबिनासी,
सब घट बासी,
ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित,
पुनीतं मायारहित मुकुंदा।

जेहि लागि बिरागी,
अति अनुरागी,
बिगत मोह मुनिबृंदा,
निसि बासर ध्यावहिं,
गुन गन गावहिं,
जयति सच्चिदानंदा।

जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई,
संग सहाय न दूजा,
सो करउ अघारी चिंत हमारी,
जानिअ भगति न पूजा।

जो भव भय भंजन मुनि,
मन रंजन गंजन बिपति बरूथा,
मन बच क्रम बानी छाङि सयानी,
सरन सकल सुरजूथा।

सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा,
जा कहुँ कोउ नहिं जाना,
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे,
द्रवहु सो श्रीभगवाना।

भव बारिधि मंदर सब बिधि,
सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा,
मुनि सिध्द सकल सुर परम,
भयातुर नमत नाथ पद कंजा।


जय जय सुरनायक । Jai Jai Surnayak | Ramcharitmanas Balkand | Narayan Bhajan । Shriram Stuti |


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