कबीर संगति साधु की निष्फल कभी न होय हिंदी मीनिंग Kabir Sangati Sadhu Ki Meaning

कबीर संगति साधु की निष्फल कभी न होय हिंदी मीनिंग Kabir Sangati Sadhu Ki Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

कबीर संगति साधु की, निष्फल कभी न होय |
ऐसी चंदन वासना, नीम न कहसी कोय ||
 
कबीर संगति साधु की निष्फल कभी न होय हिंदी मीनिंग Kabir Sangati Sadhu Ki Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

संतों की संगती सदा ही शुभ फलदाई होती है। साधू की संगती कभी भी निष्फल /बेकार नहीं जाती है। साधू की संगती से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। जब मलयगिर की सुगंधी उड़कर लगने से नीम भी चन्दन हो जाता है उसे कोई भी नीम नहीं कहता है।  इस दोहे में संत कबीर दास जी संगति के महत्व और प्रभाव पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि संतों की संगत कभी निष्फल नहीं होती। इससे व्यक्ति का मन निर्मल और पवित्र हो जाता है। संतों के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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